तहसीलदार ने पत्र में लिखा कि उपखण्ड अधिकारी राजेश मेवाड़ा ने उसे अपने ऑफिस में बुलाकर जिला कलक्टर, सरपंच प्रतिनिधि चैनाराम और जयपुर के नाम पर दबाव बनाया। साथ में यह भी कहा कि अपनी नौकरी का ख्याल रखना। तब उन्होंने कहा कि नौकरी किसी की दान में नहीं दी हुई है।
मिल कॉलोनी (अब भगवती कॉलोनी)रायपुर और हरिपुर के बीच स्थित है। पन्द्रह बीघा में करीब 100 भूखण्ड काटे हुए हैं। मैन रोड पर कई दुकानें भी बनी हुई है। कॉलोनी में करीब एक दर्जन मकान बने हुए हैं तो कई निमार्णाधीन है।
अवैध कॉलोनी थी। इकाई में संपरिवर्तन कर कॉलोनी काट दी गई। इसमें खातेदार केवल अपने लिए उपयोग कर सकता है। जबकि कॉलोनाइजर ने कॉलोनी काट दी। तहसीलदार ने उसके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की। खुद के बचाव और कॉलोनाइजर को फायदा पहुंचाने के लिए बेक डेट में यह पत्र जारी किया। जबकि कॉलोनाइजर के खिलाफ कार्रवाई करनी चाहिए। इसी मामले में तहसीलदार को एपीओ किया गया है। एपीओ होने के बाद तहसीलदार ने ऑफिस आकर कांट-छांट कर यह पत्र जारी किया, जिसमें मनगढ़ंत आरोप लगाए हैं। –राजेश मेवाड़ा, उपखण्ड अधिकारी रायपुर
मैंने पत्र में जो भी लिखा वह एकदम सही है। मिल कॉलोनी की जमीन का रूपांतरण दस साल पूर्व हो चुका था। उपखण्ड अधिकारी ने मुझे अपने कार्यालय में बुलाकर कहा कि जिला कलक्टर एवं ‘आर्य साहब’ का बार-बार फोन आ रहा है कि मिल कॉलोनी का प्रकरण 177 व 212 के तहत दर्ज कर कार्रवाई क्यों नहीं की जा रही है। इस प्रकार के प्रकरण धारा 177 में नहीं आते हैं फिर भी मैंने उनके दबाव में प्रकरण बनाकर पेश किया। तहसील क्षेत्र में ऐसे कई प्रकरण है, लेकिन मुझे यही पेश करने के लिए कहा गया। –नरेन्द्रसिंह पंवार, तत्कालीन रायपुर तहसीलदार