स्कूलों में शिक्षक को ही मिड-डे-मील प्रभारी बनाया जाता है। कई स्कूलों में शिक्षक भी इसकी जिम्मेदारी लेने से बचते हैं। ग्रामीण अंचलों में दूर—दराज से खाद्यान्न लाना जटिल कार्य है। जिससे गुणवत्ता युक्त सामग्री उपलब्ध नहीं हो पाती है। इसके अलावा कुक कम हेल्पर का मानदेय कम होता है जिससे कुशल श्रमिक नहीं मिल पाता। समय-समय पर उच्च अधिकारियों द्वारा निरीक्षण करवाना चाहिए।
— घेवाराम डांगी, देवड़ा, सांचौर
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मिड मिल का जमीनी स्तर पर कार्यान्वय सही तरीेके से नहीं हो पाता। यह एक सरकारी कार्यक्रम है। इसमें आमजन की भी भागीदारी होनी चाहिए। तभी बच्चों को भोजन की नियमितता और सही पोषण मिल पाएगा।
—महेन्द्र कुमार बोस
गुड़ामालानी बाड़मेर राजस्थान
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स्कूलों में लापरवाही, भ्रष्टाचार की वज़ह से बच्चों के हित में चलाई जा रही यह योजना दिखावा बनती जा रही है। दोषियों के खिलाफ तुरंत कार्यवाही होनी चाहिए। समय समय पर इसका लगातार निरीक्षण होते रहना चाहिए। इसकी खामियों को दूर करने के उपाय खोजने होंगे। इस पर ध्यान देना होगा।
डॉ मदनलाल गांगले जावरा जिला रतलाम (मध्य प्रदेश)
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स्कूलों में मिडडे मील की नियमित रूप से माँनिटरिंग नहीं होती। सरकार को स्कूलों में इस योजना के उचित क्रियान्वयन के लिए निगरानी समिति बनानी चाहिए। रसोई घर में प्राचार्य कक्ष में सीसीटीवी कैमरों से निगाह रखी जानी चाहिए। इसमें किसी भी प्रकार की गड़बड़ी उजागर होने व बच्चों के स्वास्थय से खिलवाड़ करने वालों पर कार्रवाई हो।
आलोक वालिम्बे, बिलासपुर, छत्तीसगढ़
मिड डे मील का खाना बनाने, उसकी गुणवत्ता पर ध्यान ना देने की वजह से समस्याएं आ रही हैं। इस पर संबंधित अधिकारीगण ध्यान दें।
-नरेश कानूनगो ‘शोभना’, देवास, म.प्र.
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मिड डे मिल बनाने वाले ठेकेदार इसे अतिरिक्त आय का साधन मानते हैं। इसलिए इसकी गुणवत्ता पर ध्यान नहीं दिया जाता। सरकार को इस पर गंभीर होना होगा।
- भगवती प्रसाद गेहलोत ,पिपलिया स्टेशन, जिला मंदसौर
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मिडडे मील में प्रधानाचार्य या प्रभारी किसी की जिम्मेदारी तय नहीं की गई है। सिर्फ योजना समझकर यह चलाई जा रही है। बच्चों के स्वास्थ्य की परवाह किसी को नहीं होती। संसाधन और वित्त की कमी के चलते भी योजना का बेहतर क्रियान्वयन नहीं हो पाता।
—सुनीता प्रजापत, हनुमानगढ़
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मिड डे मील कार्यक्रम यह पोषण और विकास पर आधारित कार्यक्रम है । इस कार्यक्रम के लिए उपर्युक्त बजट की अनुपलब्धता, स्वच्छता का अभाव , स्कूल और प्रशासन का इसको नजरअंदाज करना, शिकायत निवारण तंत्रों का अभाव और भ्रष्टाचार इसकी गुणवत्ता की कमी का कारण बनते हैं। सरकार को स्वास्थ्य व कुपोषण को दूर करने के लिए इस पर गंभीरता से सोचना पडेगा।
दिवांशु समाधिया, धनवाड़ा भरतपुर