scriptरामगढ़ में क्यों नहीं चला कांग्रेस का इमोशनल कार्ड? जानें, भाजपा की जीत-कांग्रेस की हार के 5 बड़े कारण | Ramgarh By Election Result 5 big reasons for BJP victory and Congress defeat in Ramgarh | Patrika News
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रामगढ़ में क्यों नहीं चला कांग्रेस का इमोशनल कार्ड? जानें, भाजपा की जीत-कांग्रेस की हार के 5 बड़े कारण

Rajasthan By Election Result: सुखवंत सिंह रामगढ़ के नए विधायक बन गए हैं। जानें-वो पांच बड़े कारण जिसकी वजह से बीजेपी को जीत मिली और कांग्रेस को हार का सामना करना पड़ा।

अलवरNov 24, 2024 / 01:45 pm

Anil Prajapat

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Ramgarh By Election Result: अलवर। सुखवंत सिंह रामगढ़ के नए विधायक बन गए हैं। भाजपा प्रत्याशी सुखवंत सिंह ने कांग्रेस प्रत्याशी आर्यन जुबेर खान को 13,636 वोटों से हराया। भाजपा को 1,08,811 वोट मिले। वहीं, कांग्रेस को 95,175 मत हासिल हुए। 15वें राउंड तक दोनों प्रत्याशियों के बीच कांटे की टक्कर रही। कभी आर्यन तो कभी सुखवंत लीड लेते नजर आए।
आखिरी पांच राउंड ने ही सुखवंत सिंह के जीत का सेहरा बांध दिया। उनकी जीत के बाद भाजपाइयों ने मतगणना स्थल के बाद जश्न मनाया। चुनाव में 8 प्रत्याशियों की जमानत जब्त हो गई। 798 लोगाें ने नोटा का बटन दबाया। आइए अब जानते है कि रामगढ़ में भाजपा को जीत क्यों मिली और वो कारण जिनकी वजह से कांग्रेस को हार का सामना करना पड़ा।
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भाजपा क्यों जीती?

1. सीएम भजनलाल शर्मा ने रामगढ़ व बड़ौदामेव में सभा कर माहौल बनाया।
2. भाजपा ने कोर वोटर को बांधे रखा और भीतरघात पर मरहम लगाया।
3. दलित वोटों को साधने के लिए उप मुख्यमंत्री प्रेमचंद बैरवा, केंद्रीय कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल, शिक्षा मंत्री मदन दिलावर को मैदान में उतारा। ताबड़तोड़ सभा कराई।
4. प्रदेश सरकार में मंत्री गौतम दक, जवाहर सिंह बेढ़म, संजय शर्मा, प्रदेश अध्यक्ष मदन राठौड़ को भी मैदान में उतारा। केंद्रीय मंत्री भूपेंद्र यादव ने भी सभाएं की।
5 .बूथ मैनेजमेंट से लेकर घर-घर प्रचार की समीक्षा की गई। समय-समय पर सर्वे कराए गए।
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    कांग्रेस क्यों हारी?

    1. एससी-एसटी वोटर बंट गए।
    2. नेता प्रतिपक्ष टीकाराम जूली और भरतपुर सांसद संजना जाटव ने घर-घर जाकर वोट मांगे, लेकिन शत-प्रतिशत वोट नहीं मिल पाए।
    3. पूर्व उप मुख्यमंत्री सचिन पायलट, प्रदेश अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा, पूर्व केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह, वैभव गहलोत को भी मैदान में उतारा, लेकिन उनके वोटर एक नहीं हो पाए और आर्यन जुबेर को दूसरे नंबर पर रहना पड़ा।
    4. कांग्रेस पिछले चुनाव परिणाम के कारण अति आत्मविश्वास में रही। जुबेर खान के निधन के बाद सहानुभूति की लहर पर भरोसा किया।
    5. पुराने बूथ मैनेजमेंट के अनुसार ही चुनाव लड़ा, जो भारी पड़ गया।

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