देश में सीएसआर गतिविधियों से हो रहा जनकल्याण
वीरेश दत्त माथुर, स्वतंत्र लेखक एवं स्तम्भकार
आज देश में कॅार्पोरेट सोशल रिस्पॉन्सिबिलिटी (सीएसआर) के अंतर्गत अनेक क्षेत्रों में जन कल्याण की गतिविधियां संचालित की जा रही हैं। सालों से अभावों और तंगहाली में जीवनयापन करने वाले लोगों के लिए सीएसआर वरदान है। सीएसआर के कारण आज देश के लाखों शोषित, पीडि़त, उपेक्षित और वंचित तबकों के लोगों के चेहरों पर मुस्कान आई है, कई लोगों को स्वरोजगार मिला है, कई लोग शिक्षा से जुड़े हैं। अब तो सीएसआर के तहत अनेक नवाचार भी किए जाने लगे है। आज देश में सीएसआर गतिविधियों के अंतर्गत विभिन्न फाउंडेशन, ट्रस्ट, एनजीओ द्वारा शिक्षा, स्वास्थ्य, जनकल्याण, कौशल विकास, ज्ञान-विज्ञान, तकनीक, कृषि, पशुपालन, बाल संरक्षण, महिला सशक्तीकरण, हैरिटेज संरक्षण, पर्यावरण, श्रम एवं रोजगार आदि क्षेत्रों में रचनात्मक गतिविधियां संचालित की जा रही हैं। देश में आज कॅार्पोरेट घरानों की सीएसआर गतिविधियों से वंचित लोगों को बहुत लाभ मिल रहा है, वंचित लोग दानदाताओं की सहायता, सेवा से अपने जीवन स्तर को ऊंचा उठा रहे हैं। सीएसआर की अनेक गतिविधियों से वंचित लोग कौशल विकास का प्रशिक्षण लेकर स्वरोजगार की दिशा में आगे बढ़ रहे हैं। भारत में कॅार्पोरेट सोशल रिस्पॉन्सिबिलिटी (सीएसआर) का इतिहास बहुत पुराना है। यहां प्राचीलकाल से अभावग्रस्त लोगों की सेवा करने की परंपरा रही है। पुराने जमाने में बड़े-बड़े सेठ जनसेवा के नाम पर धर्मशाला, प्याऊ तथा स्वास्थ्य शिविर सहित विभिन्न जनकल्याण की गतिविधियों का आयोजन करते थे। इसके अलावा पुराने जमाने में शिक्षा की ज्योति जगाने के लिए बड़े-बड़े व्यापारी विद्यालय, महाविद्यालय आदि का निर्माण करवाते थे। बड़े सार्वजनिक अस्पताल, सार्वजनिक कम्युनिटी हॉल, गौशाला तथा वृद्धाश्रम भी पुराने जमाने में बहुत से व्यापारियों ने बनवाए हैं।
आज जब देश में अर्थव्यवस्था तेजी से बढ़ रही है। कॉर्पोरेट घरानों का बिजनेस राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर तेजी से बढ़ रहा है। ऐसे में आज अनेक कॉर्पोरेट घराने अपने सामाजिक उत्तरदायित्व को पूरा करने के लिए अनेक जनकल्याण के कार्यक्रम देश में जगह-जगह चला रहे हैं। कंपनी अधिनियम कानून के अनुसार कॉर्पोरेट को अपने लाभांश में से सीएसआर के लिए फंड खर्च करना अनिवार्य है। इस कारण देश में सीएसआर गतिविधियों की संख्या तेजी से बढ़ती जा रही है। कंपनी अधिनियम के अनुसार जिन कंपनियों की सालाना नेटवर्थ 500 करोड़ रुपए या सालाना आय 1000 करोड़ की या सालाना लाभ 5 करोड़ का हो तो उनको सीएसआर पर खर्च करना जरूरी होता है। यह खर्च तीन साल के औसत लाभ का कम से कम 2 प्रतिशत होना चाहिए। सीएसआर के प्रावधान केवल भारतीय कंपनियों पर ही लागू नहीं होते हैं बल्कि यह भारत में विदेशी कंपनी की शाखा और विदेशी कंपनी के परियोजना कार्यालय के लिए भी लागू होते हैं।
कंपनी अधिनियम के अनुसार शिक्षा, स्वास्थ्य, कौशल विकास, विरासत, पर्यावरण, खेलकूद तथा विभिन्न अन्य क्षेत्र में जनचेतना तथा विकास की गतिविधियां सीएसआर के अंतर्गत कंपनियों द्वारा की जा सकती है। स्वास्थ्य देखभाल, स्वच्छता और स्वच्छ पेय जल उपलब्धिता को बढ़ावा देना, महिलाओं और अनाथों के लिए घर व हॉस्टल, वृद्धाश्रम, दैनिक देखभाल केंद्र और वरिष्ठ नागरिकों के लिए अन्य सुविधाएं स्थापित करना व सामाजिक व आर्थिक रूप से पिछड़े समूहों के लिए असमानता में कमी लाने के उपाय करना, पर्यावरण संतुलन, वनस्पति व प्राणी समूह की सुरक्षा, पशु कल्याण, कृषि वानिकी, प्राकृतिक संसाधनों का संरक्षण और मिट्टी, जल व वायु की गुणवत्ता सुनिश्चित करना, आजीविका को बढ़ाने वाली परियोजनाएं सीएसआर के अंतर्गत आती हैं। इसके अलावा राष्ट्रीय विरासत, कला एवं ऐतिहासिक महत्त्व की इमारतों का संरक्षण व कलाकृतियों सहित संस्कृति की सुरक्षा, जन पुस्तकालयों की स्थापना और परंपरागत कला व हस्त शिल्प विकास, सशस्त्र बल के दिग्गजों, युद्ध विधवाओं और इनके आश्रितों के लाभ के लिए कदम उठाना, ग्रामीण खेलकूद, राष्ट्रीय व मान्यता प्राप्त खेलों, पैरा-ओलंपिक खेलों व ओलंपिक खेलों के उत्थान के लिए प्रशिक्षण, ग्रामीण विकास परियोजनाएं आदि विषय भी सीएसआर के अंतर्गत सम्मिलित हैं। आमतौर पर गरीब, पीडि़त, शोषित, उपेक्षित और वंचित वर्ग के लोगों को सीएसआर का लक्षित समूह माना गया है यानी जो व्यक्ति जीवन की न्यूनतम आवश्यकताओं से जूझ रहा है, उसे सीएसआर की गतिविधियों के माध्यम से ऊंचा उठाना तथा समाज की मुख्यधारा में लाना सीएसआर का मुख्य लक्ष्य है।
आज देश में व्यावहारिक स्तर पर ज्यादातर कंपनियां सीएसआर पर काम कर रही हैं। बैंक और बीमा कंपनियां वित्तीय साक्षरता अभियानों में पैसा लगा रही हैं। बहुत सी कंपनियां सीएसआर के अंतर्गत गौशाला के लिए पैसा दे रही हैं। सार्वजनिक उपक्रमों का भी सीएसआर में बहुत बड़ा योगदान है। नवाचार के काम में भी सीएसआर का पैसा लगाया जा रहा है। आज देश में कंपनियों की सीएसआर गतिविधियों के चलते वंचितों के कल्याण के लिए हर जगह काम हो रहे हैं। सीएसआर की गतिविधियों से अभावग्रस्त लोगों के जीवन में नई रोशनी की किरण जगी है। अंधरे में जीवन यापन करने वालों को प्रकाश नजर आने लगा है।
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