डपिंग यार्ड के लिए बने नीति
डपिंग यार्ड यहां एक प्रमुख मुद्दा है। पूरे राजस्थान में खनिज डपिंग यार्ड के लिए एक नीति बनाई जानी चाहिए, क्योंकि 23 से अधिक जिले खनिज आधारित उद्योग पर निर्भर हैं। इसको ध्यान में रखते हुए सरकार के स्तर पर नीति बनाई जानी चाहिए। इससे मार्बल उद्योग को लाभ मिलेगा और व्यापार की राह भी आसान होगी। इन बिंदुओं पर काम करे सरकार
- मार्बल व ग्रेनाइट पर रॉयल्टी कम की जाए।
- मार्बल व ग्रेनाइट पर जीएसटी 18 प्रतिशत से 5 प्रतिशत स्लैब पर लाना होगा।
- रॉयल्टी और जीएसटी में विसंगतियों को दूर करना होगा।
विशेष ईंधन अधिभार ने तोड़ी कमर
अक्टूबर 2022 से विशेष ईंधन अधिभार लागू किया गया है। ये 2027 तक जारी रहेगा। ये अधिभार मार्बल उद्योग पर 4.20 रुपये प्रति यूनिट के हिसाब से है। इस कारण मार्बल उद्योग पर इसका बेहद असर पड़ रहा है। इसलिए सरकार को चाहिए कि बिजली बिलों में आने वाले एसएफसी को रद्द किया जाए।
कंटेनर डिपो खोले जाने की जरूरी
मार्बल उद्योग को बचाने के लिए कंटेनर डिपो खोले जाने की जरूरत है। यही नहीं देश के प्रत्येक शहर से सीधी कने?क्टिविटी होने के बाद मार्बल खरीदारी के लिए लोग राजसमंद आ सकेंगे। डिपो खुलने से परिवहन के लिए सस्ती दर पर उपलब्ध हो सकेंगे। जिससे जिले के मार्बल उद्योग को पंख लग सकेंगे। इस दिशा में भी सरकार को पूरा ध्यान देने की जरूरत है।
मार्बल का सरकारी कार्यालयों में हो उपयोग
मार्बल उद्योग को विकसित करने की दिशा में सरकार को काम करना होगा। इस उद्योग को जीवित करने के लिए सरकार इसका उपयोग सरकारी कार्यालयों में करने के आदेश जारी करे। ताकि मार्बल उद्योग को बूस्टर डोज मिले। इसके अलावा राज्य और ग्रामीण सड$कों में ग्रेनाइट कॉबल्स का उपयोग किया जाए। जिससे राज्य में रोजगार के नए अवसर पैदा होंगे।
अनदेखी से मार्बल उद्योग मंदा
मार्बल और ग्रेनाइट उद्योग अनदेखी के कारण मंद होता जा रहा है। जिले में प्रचुर मात्रा में ये उपलब्ध है, लेकिन सरकार की नीतियां, विसंगतियों के कारण ये उद्योग पनप नहीं पा रहा है। यदि सरकार यहां पर स्टोन मंडी को विकसित करने की दिशा में काम करती है तो निश्चित रूप से औद्योगिक विकास होगा। मार्बल व ग्रेनाइट की कमर टूटने के पीछे प्रमुख कारण जीएसटी का 18 प्रतिशत होना है। इसकी स्लैब पांच प्रतिशत तक की जानी चाहिए। इसके अलावा मार्बल से निकलने वाली स्लरी के उपयोग के लिए यहां पर बड़े उद्योग स्थापित करने चाहिए ताकि मार्बल मंडी का विकास हो। - सुशील बड़ाला, महामंत्री, मार्बल ट्रेडर्स एसोसिएशन, राजसमंद