scriptताकतों का खेल | Patrika Group Editor In Chief GulabKothari's Article 18 October 2023 | Patrika News
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ताकतों का खेल

हम सुन रहे थे कि तीसरा विश्व युद्ध पानी के लिए होगा। देख यह रहे हैं कि लोगों की आंखों का पानी सूखता जा रहा है। जिस प्रकार हमास (फिलिस्तीन) ने अचानक इजरायल पर बड़ा हमला कर दिया और सैकड़ों लोगों की हत्या कर दी, हजारों को घायल कर दिया, वह घटना विश्व को चौंकाने वाली ही थी।

Oct 18, 2023 / 10:11 am

Gulab Kothari

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गुलाब कोठारी
हम सुन रहे थे कि तीसरा विश्व युद्ध पानी के लिए होगा। देख यह रहे हैं कि लोगों की आंखों का पानी सूखता जा रहा है। जिस प्रकार हमास (फिलिस्तीन) ने अचानक इजरायल पर बड़ा हमला कर दिया और सैकड़ों लोगों की हत्या कर दी, हजारों को घायल कर दिया, वह घटना विश्व को चौंकाने वाली ही थी। कौन देश इजरायल की शक्ति और युद्ध-कौशल से अनजान है? पहले भी प्रमाणित हो चुका है। फिलिस्तीनी क्षेत्र बहुत ही छोटा क्षेत्र है जो आज तो मूल में इजरायल का अंग-सा ही लगता है। उसमें भी गाजा में हमास का आतंकवादी गुट कोई लाखों की संख्या में नहीं है। फिर भी यह हमला इतना आक्रामक?

इजरायल को इस हमले से बड़ी ठेस पहुंची है। उसका आत्मसम्मान आहत हुआ है। प्रधानमंत्री नेतन्याहू की आवाज में प्रतिशोध की ज्वाला दिख रही है। हमास का नामोनिशान नहीं बचने की उनकी घोषणा से यह स्पष्ट रूप से दिखाई दे रहा है। युद्ध क्षेत्र में बेगुनाह नागरिक मरते हैं, यातनाएं भोगते हैं, यह तो एक शाश्वत सत्य बन गया है। इजरायल ने उनको पलायन का अवसर देकर मानवता का परिचय दिया है।

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एक प्रश्न उठता है कि क्या यह हमास का अपना कदम है? फिलीस्तीन का तो हो नहीं सकता। हमास क्या इजरायल के सामने अपनी शक्ति को जानता नहीं है? तब क्या वह इजरायल के हाथों अन्य फिलिस्तीनियों को मरवाना चाहता है, ताकि वहां अपने पंख पसार सके? अथवा उसके पीछे कोई बड़ी शक्ति उसे उकसा रही है। आतंकियों का कोई देश-धर्म नहीं होता। किन्तु मुट्ठीभर लोग लाखों लोगों की जिन्दगी तबाह कर देते हैं। अमरीका, इजरायल का साथ देने की घोषणा कर चुका है। इसी संदर्भ को देखें तो ईरान का हमास के समर्थन में कूद पड़ना अपेक्षित ही था। और, कूद पड़ा पूरी धमकी के साथ। लेबनान-जॉर्डन भी हालात को देख-समझ रहे हैं।
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क्या शेष मध्य-पूर्व शान्त बैठा रहेगा? ब्रिटेन के प्रधानमंत्री ऋषि सुनक ने घोषणा की है कि उनके देश में यहूदियों की पूरी सुरक्षा करेंगे। ब्रिटेन भी इजरायल के साथ युद्ध के निगरानी हवाईजहाज भेज चुका है। जैसा चित्र उभरकर आ रहा है उसमें अमरीका-यूरोप, इजरायल के साथ हैं। मध्य-पूर्व के देश हमास को ताकत दे रहे हैं। ईरान व सीरिया बॉर्डर पर सेना का जमाव कर रहे हैं। यूरोप के कुछ देश उधर यूक्रेन की सहायता भी कर रहे हैं, रूस के विरुद्ध। अर्थात एक ओर चीन और रूस एक होने का प्रयास कर रहे हैं, वहीं दूसरी ओर अमरीका, यूरोप इनके विरुद्ध बयान भी दे रहे हैं, सैन्य सहायता-अन्य सप्लाई भी भेज रहे हैं। न तो रूस पीछे हटता दिखाई दे रहा है, उधर न ही इजरायल। संयुक्त राष्ट्र लाचार सा किंकर्तव्यविमूढ़ दिखाई दे रहा है। उसने तो अपना कार्यालय उत्तर फिलिस्तीन से हटाकर दक्षिण में बना लिया है।

तीसरे विश्व युद्ध की चाबी
यही उसकी औकात रह गई है। नख-दन्त विहीन सिंह जैसी।
इजरायली हमलों की आक्रामकता फिलहाल बढ़ गई है। इसका असर लेबनान-जार्डन तक देखा जाने लगा है। वहां भी लोगों को सीमा से हटा दिया गया है। वहां भी लोग मरने लगे हैं। क्या इतने लोगों को मरते देख शेष समुदाय मौन रहेगा। हमास-ईरान भी शिया-सुन्नी का भेद भुला चुके। बेकसूर लोगों के मरने की खबरें आ रहीं है। यदि रूस-इजरायल डटे रहे तो क्या अमरीका मौन रह पाएगा? तीसरे विश्व युद्ध की यही चाबी है।

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