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गलत खाते में गया पैसा वापस न करना भी धोखाधड़ी की श्रेणी में

साधारण ठेले पर सब्जी बेचने वाला हो या एक फाइव स्टार होटल में बिलिंग का काउंटर, सब जगह मोबाइल से स्कैन कर पेमेंट आसानी से हो रहे हैं, लेकिन डिजिटल इंडिया के कुछ साइड इफेक्ट्स भी लगातार देखने को मिल रहे हैं।

जयपुरDec 03, 2024 / 12:48 pm

Hemant Pandey

साधारण ठेले पर सब्जी बेचने वाला हो या एक फाइव स्टार होटल में बिलिंग का काउंटर, सब जगह मोबाइल से स्कैन कर पेमेंट आसानी से हो रहे हैं, लेकिन डिजिटल इंडिया के कुछ साइड इफेक्ट्स भी लगातार देखने को मिल रहे हैं।

साधारण ठेले पर सब्जी बेचने वाला हो या एक फाइव स्टार होटल में बिलिंग का काउंटर, सब जगह मोबाइल से स्कैन कर पेमेंट आसानी से हो रहे हैं, लेकिन डिजिटल इंडिया के कुछ साइड इफेक्ट्स भी लगातार देखने को मिल रहे हैं।

CA विजय गर्ग, आर्थिक विशेषज्ञ और भारतीय एवं विदेशी कर प्रणाली के जानकार


आज भारत की 140 करोड़ की आबादी में 120 करोड़ मोबाइल यूजर्स हैं, जिनमें 95 करोड़ से ज्यादा इंटरनेट का इस्तेमाल करते हैं। डिजिटल पेमेंट के मामले में भारत दुनिया में अग्रणी देश है। हम डिजिटल पेमेंट के मामले में अमरीका और चीन जैसे विकसित देशों से आगे निकल चुके हैं। आज आप अपना पर्स घर पर भूल जाएं तो भी मोबाइल से ‘बार कोड’ स्कैन कर पेमेंट कर सकते हैं। साधारण ठेले पर सब्जी बेचने वाला हो या एक फाइव स्टार होटल में बिलिंग का काउंटर, सब जगह मोबाइल से स्कैन कर पेमेंट आसानी से हो रहे हैं, लेकिन डिजिटल इंडिया के कुछ साइड इफेक्ट्स भी लगातार देखने को मिल रहे हैं। देश में रोजाना सैकड़ों लोग यूपीआइ पेमेंट्स और साइबर फ्रॉड के शिकार हो रहे हैं। पिछले कुछ सालों में लोगों को खरबों रुपयों का नुकसान हो चुका है और यह आंकड़ा दिन-प्रतिदिन बढ़ता जा रहा है।
रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (आरबीआइ) डिजिटल पेमेंट और ऑनलाइन बैंकिंग के ग्राहकों को और ज्यादा सुविधाएं देने की ओर लगातार कदम बढ़ा रहा है। स्वयं आरबीआइ गवर्नर शक्तिकांत दास दावा कर रहे हैं कि मजबूत डिजिटल सिस्टम से साइबर फ्रॉड के केसों पर लगाम लगेगी, लेकिन जो आंकड़े सामने आ रहे हैं, उनसे तो यह कहीं भी प्रतीत नहीं हो रहा है। रोजाना ऐसी सैकड़ों खबरें देश भर से आती हैं, जिनमें साइबर फ्रॉड के शिकार लोग अपनी पीड़ा बता रहे होते हैं। वैसे यूपीआइ पेमेंट को लेकर सरकार ने कानून और नियम बनाए हैं, जैसे अगर किसी गलत खाते में पैसे चले जाएं तो रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया के नियमों के मुताबिक पैसा मिलने वाले व्यक्ति को उन्हें वापस लौटना होगा। पैसा वापस न करने पर धोखाधड़ी मानी जाएगी और कार्रवाई हो सकती है। जिन ग्राहकों के साथ धोखाधड़ी हुई है, उन्हें तत्काल अपने बैंक के ग्राहक सेवा केंद्र को धोखाधड़ी की सूचना देनी होती है। उन्हें धन वापसी की मांग करनी होती है। जिसके साथ धोखाधड़ी हुई है, वो स्थानीय साइबर पुलिस थाने में भी शिकायत दर्ज करा सकता है। सरकार ने एक हेल्पलाइन नंबर 1930 भी जारी किया है, जिस पर भी कॉल किया जा सकता है। साथ ही, जो व्यक्ति यूपीआइ पेमेंट से लेन-देन कर रहे हैं, उन्हें भी कुछ विशेष बातों का ध्यान रखने की आवश्यकता है। एक तो वो किसी के साथ भी अपना यूपीआइ पिन, पासवर्ड या ओटीपी शेयर न करें। किसी अनजान नंबर से आने वाले मैसेज, ई-मेल या वॉट्सएप के लिंक को न खोलें। बैंकों के सर्वर में सेंध लगाने की बात हो या डिजिटल पेमेंट की प्रक्रिया में घुसने की, साइबर चोर अपनी गिद्ध निगाहें बनाए हुए हैं। उन्होंने एक ऐसा इकोसिस्टम तैयार कर लिया है, जिसे भेद पाना सुरक्षा एजेंसियों के लिए भी बेहद मुश्किल हो रहा है। सरकार डिजिटल पेमेंट्स की धोखाधड़ी को लेकर लगातार जनता को जागरूक कर रही है, लेकिन सख्त साइबर सिक्योरिटी से ही ऐसे फ्रॉड्स को रोका जा सकता है। डिजिटल पेमेंट करने वाले लोगों को भी इस ओर ध्यान देने की जरूरत है, सावधानी में ही बचाव है। भारत दुनिया में डिजिटल इंडिया का चैंपियन बन रहा है, यह अच्छा है, लेकिन जिन लोगों ने अपना पैसा गंवा दिया है, अपनी गाढ़ी कमाई को साइबर फ्रॉड्स के हाथों जाने दिया है, उनको सरकार से राहत की उम्मीद है। डिजिटल पेमेंट तो तेजी से बढ़ रहे हैं, लेकिन फ्रॉड को रोकना सरकार का पहला दायित्व होना चाहिए। यदि ऐसा नहीं होता है और धोखाधड़ी की संख्या बढ़ती है तो करेंसी नोट पर लौटने में जनता को ज्यादा समय नहीं लगेगा। डिजिटल इंडिया को लेकर जनता के बीच में विश्वास बनाए रखना बेहद जरूरी है। सख्त कानून के साथ उसकी पालना से ही बात बनेगी, तभी डिजिटल इंडिया का सपना पूरी तरह साकार होगा।

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