सेक्टर-30 स्थित जिला अस्पताल में खुल रहा है जन औषधि केंद्र प्रधानमंत्री जन औषधि केंद्र का जिला अस्पताल में सोमवार को आज 10 बजे उद्घाटन होना था। इसके लिए सीएमओ और सीएमएस तो मौके पर पहुंच गए लेकिन केंद्रीय मंत्री महेश शर्मा अभी तक नहीं पहुंचे हैं, जिस कारण उद्घाटन में देरी हो रही है। वहां अभी केंद्रीय मंत्री महेश शर्मा का इंतजार किया जा रहा है। यह प्रधानमंत्री जन औषधि केंद्र नोएडा के सेक्टर-30 स्थित जिला अस्पताल में खुल रहा है। यहां पर सभी दवाओं पर बाजार भाव से 90 परसेंट से कम दाम लिए जाएंगे। इससे लोगों को ब्रांडेड कंपनियों की दवा के लिए ज्यादा जेब नहीं ढीली करनी पड़ेगी। यह जनऔषिधि केंद्र अस्पताल के गेट पर खुल रहा है। अब भी इसका खुलने का समय सुबह 8 बजे से रात 8 बजे तक रखा गया है। हालांकि, बताया जा रहा है कि अगर लोगों का रिस्पांस सही रहा तो इसे पूरे दिन मतलब 24 घंटे के लिए खोला जाएगा।
सुबह 8 बजे से खुलेगा जन औषिध केंद्र प्रधानमंत्री जन औषधि केंद्र के रीजनल सेल्स ऑफिसर डॉ. मानवीर सिंह का कहना है कि जिला अस्पताल में यह जन औषिध केंद्र स्थायी है। सेक्टर-39 में बन रहे जिला अस्पताल में भी इसे बड़े स्तर पर शुरू करने की योजना है। रिस्पांस सही रहा तो इसे जिले के हर सामुदायिक केंद्र में खोला जाएगा। फिलहाल अभी इसका समय सुबह 8 से रात 8 बजे तक का है। उन्होंने बताया कि अभी शुरुआत में इसमें 180 तरह की दवाएं बिकेंगी। एक हफ्ते बाद इसकी समीक्षा की जाएगी। सब ठीक रहा तो फिर अलग-अलग बीमारियों की लगभग 700 दवाएं यहां पर रखी जाएंगी। ये सभी जेनरिक दवाएं होंगी। उनका कहना है कि इसी साल अक्टूबर तक जिले के सभी सामदायिक केंद्रों में यह औषधि केंद्र खोला जाएगा। योजना के अनुसार, पहले कासना मेडिकल कॉलेज में इसे शुरू करने की तैयारी है। इसके बाद बिसरख और दादरी के सभी सीएचसी में भी इसे खोला जाएगा।
क्यों हैं ये दवाएं सस्ती डॉक्टर आपको जो दवाएं लिखते हैं, वे काफी महंगी होती हैं। इन ब्रांडेड कंपनियों की दवाओं महीने का काफी खर्चा निकल जाता है। दवा एक तरह का साल्ट होती है, जिसे एक बीमारी के इलाज के लिए कई रिसर्च और स्टडी के बाद तैयार किया जाता है। इसको कंपनियां अलग-अलग नामों से बेचती हैं। उसी साल्ट की जेनेरिक दवा बहुत सस्ती होती है। इनमें कई बार 90 फीसदी से भी ज्यादा का अंतर होता है। जेनरिक नाम साल्ट के कंपोजिशन और बीमारी काे ध्यान में रखते हुए एक विशेष समिति निर्धारित करती है। किसी भी साल्ट का जेनेरिक नाम दुनिया भर में एक सा होता है। इनका असर ब्रांडेड दवाओं से कम नहीं होता है। इनकी कीमत सरकार के हस्तक्षेप से तय होती है, इसलिए ये सस्ती होती हैं।