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आइइटी कैंपस में अवैध कैंटीन का राज, अधिकारी बता रहे इसे मेस की व्यवस्था

इंदौर. खंडवा रोड स्थित देवी अहिल्या विश्वविद्यालय का आइइटी कैंपस अनदेखी का शिकार है। कैंपस में आए दिन विद्यार्थियों के बीच विवाद होते रहते हैं। कैंपस में चल रही कैंटीन को भी विद्यार्थी अवैध बता रहे हैं और जिम्मेदारों को इसकी खबर ही नहीं है। जिस कंपनी को इसका टेंडर दिया गया था, उसने कैंटीन […]

इंदौरJun 30, 2024 / 06:49 pm

Sikander Veer Pareek

इंदौर. खंडवा रोड स्थित देवी अहिल्या विश्वविद्यालय का आइइटी कैंपस अनदेखी का शिकार है। कैंपस में आए दिन विद्यार्थियों के बीच विवाद होते रहते हैं। कैंपस में चल रही कैंटीन को भी विद्यार्थी अवैध बता रहे हैं और जिम्मेदारों को इसकी खबर ही नहीं है। जिस कंपनी को इसका टेंडर दिया गया था, उसने कैंटीन शुरू ही नहीं की। अब यहां मेस के नाम पर अन्य व्यक्ति कैंपस में दुकान चला रहा है। हजारों विद्यार्थियों के बीच चल रही कैंटीन को कौन संचालित कर रहा है, वहां खाने में क्या मिल रहा है और उसका किराया दिया जा रहा है या नहीं? इसे लेकर अधिकारी मौन हैं। हालांकि वे इसे मेस का ही हिस्सा बताकर पल्ला झाड़ रहे हैं।
यह है हालात

आइइटी कैंपस में पांच हॉस्टल हैं। इसमें चार छात्रों और एक छात्राओं का है। छात्रों के खाने की व्यवस्था के लिए चार हॉस्टल के बीच एक मेस है। कैंपस की कैंटीन तीन साल से बंद है। इसी का फायदा उठाते हुए एक व्यक्ति ने सांठ-गांठ से अपनी दुकान शुरू कर दी है। करीब एक साल से बिना अनुमति के यह कैंटीन चल रही है। विद्यार्थियों और अन्य लोगों को गुमराह करने के लिए इसे मेस का ही हिस्सा बताया जा रहा है। जिम्मेदारों का कहना है कि विद्यार्थियों की नाश्ते की व्यवस्था मेस के अंदर न करते हुए बाहर अलग से की गई है। इसके लिए न तो विश्वविद्यालय ने कोई टेंडर जारी किया और न ही कोई अनुमति दी। अधिकारियों ने कभी निरीक्षण करने की जहमत भी नहीं उठाई।
किराये का अता-पता नहीं

मेस संचालक और विश्वविद्यालय के बीच हुए एग्रीमेंट के मुताबिक, मेस संचालन के लिए संचालक को हर महीने तीन हजार रुपए किराया देना होगा। छोटे इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों का इस्तेमाल करने की स्थिति में दो हजार रुपए बिजली बिल के रूप में प्रतिमाह अलग से देने होंगे। चौंकाने वाली बात यह है कि मेस में बिजली मीटर ही नहीं लगा है। हॉस्टल वार्डन का कहना है कि तीन हजार रुपए किराए में ही बिजली बिल शामिल है यानि जिम्मेदारों को इसकी खबर नहीं है।
बाहर लगी रेट लिस्ट

इस कैंटीन को जिम्मेदार भले ही मेस का हिस्सा बता रहे हैं, लेकिन बाहर लगी रेट लिस्ट पूरी पोल खोल रही है। छात्रों से मेस की व्यवस्था के लिए 2700 रुपए लिए जा रहे हैं, जिसमें नाश्ता और दो समय का खाना दिया जाता है। सवाल यह है कि यदि यह मेस की व्यवस्था है तो छात्रों से खाने का पैसा लेने के बाद भी पोहे-समोसे किसकी अनुमति से बेचे जा रहे हैं।
जिम्मेदारों के अलग-अलग तर्क

कैंपस में कैंटीन की जरूरत है, लेकिन यह तीन साल से बंद है। स्टोर में हमने विद्यार्थियों के नाश्ते की व्यवस्था अलग से की है, जो मेस की ही व्यवस्था है। यहां कोई कैंटीन नहीं चल रही है।
– डॉ. जीएल प्रजापति, हॉस्टल वार्डन

कैंपस में चल रही कैंटीन की मुझे जानकारी नहीं है। कैंटीन और मेस हॉस्टल वार्डन के अधीन होती है। हमने कोई अनुमति नहीं दी है।

– डॉ. संजीव टोकेकर, आइइटी डायरेक्टर
आइइटी कैंपस में मेस लंबे समय से बंद है, उसका कोई टेंडर नहीं हुआ है। अलग से दुकान चलने की जानकारी नहीं है।

– डॉ. अजय वर्मा, रजिस्ट्रार, डीएवीवी

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