आज हम उन 5 बीमारियों (Disease) के बारे में चर्चा करेंगे जिनसे हमने सावधानी नहीं बरती तो हमारा मौंत से सामना हो सकता है। डेंगू देश दूनिया में इस समय डेंगू को लेकर चेतावनी जारी है। डेंगू इस समय तेजी से फैल रहा है। भारत की बात करें तो इसके प्रतिदिन मरीज देखने को मिल रहे है। डेंगू मच्छरों से होने वाली एक संक्रामक बीमारी (Disease) है जो आमतौर पर मानसून में देखने को मिलती है। डेंगू का बुखार काफी खतरनाक होता है, जो फ्लू से मिलता-जुलता है। इसमें तेज बुखार, सिरदर्द, रैशेज, मांसपेशियों में दर्द और जोड़ों में परेशानी जैसी समस्याएं हो सकती हैं।
मंकीपॉक्स (Monkeypox) मंकीपॉक्स इन इस समय तबाही मचा रखी है। पाकिस्तान में मंकीपॉक्स के केस मिलने से भारत में भी इसे लेकर अलर्ट जारी कर दिया गया है। यह भारत के लिए चिंता का विषय भी है। अभी तक इसके केस यहां नहीं मिले हैं लेकिन इसे लेकर हर किसी को सावधान रहना चाहिए। यूरोपीय देशों में तो मंकीपक्स कई मौंते भी सामने आ चूकी है। अफ्रीका की बात की जाए तो वहां प्रतिदिन इसके मरीज देखने को मिल रहे हैं।
कोविड-19 आज से 4 साल पहले कोविड-19 ने पूरे विश्व में तबाही मचाई थी। इस भयावह बीमारी को लेकर पूरे विश्व में उस समय लॉकडाउन हो गया था। आज भी कोविड -19 वायरस का खतरा पूरी तरह टला नहीं है। SARS-CoV-2 वायरस इसका कारण बनता है, जो संक्रामक होता है और सांस संबंधी समस्या बन सकता है। इसमें बुखार, खांसी, थकावट, गले में खराश, सिरदर्द, दर्द, दस्त और आंखों में समस्या हो सकती है.इसकी वजह से बोलने-चलने में दिक्कत और सीने में समस्या हो सकती है।
जापानी इंसेफेलाइटिस जापानी इंसेफेलाइटिस बीमारी डेंगू की तरह मच्छरों से होने वाली बीमारी (Disease) है। इस बीमारी में गंभीर सिरदर्द, तेज बुखार, बेहोशी, कंपकंपी, और कंफ्यूजन जैसी समस्याएं देखने को मिलती हैं। साल 2022 में असम में इसका प्रकोप देखने को मिला था। हर साल मानसून में इस बीमारी का प्रभाव देखने को मिलता है। इस बीमारी का बचाव सावधानी ही बताया जाता है।
स्वाइन फ्लू स्वाइन फ्लू होने का कारण H1N1 वायरस है। इसमें निमोनिया का खतरा काफी ज्यादा देखने को मिलता है। निमोनिया होने पर हमारी मौत भी हो सकती है। स्वाइन फ्लू में तेज बुखार, गले में खराश, सूखी खांसी, सिरदर्द, कमजोरी, थकान, ठंडे हाथ और पैर, दस्त-उल्टी जैसी समस्याएं देखने को मिलती हैं। बच्चों में इस वायरस के लक्षण करीब 10 दिनों बाद दिखते हैंं जबकि वयस्कों में 7 दिनों बाद भी इसके लक्षण नजर नहीं आते हैं।
डिसक्लेमरः इस लेख में दी गई जानकारी का उद्देश्य केवल रोगों और स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं के प्रति जागरूकता लाना है। यह किसी क्वालीफाइड मेडिकल ऑपिनियन का विकल्प नहीं है। इसलिए पाठकों को सलाह दी जाती है कि वह कोई भी दवा, उपचार या नुस्खे को अपनी मर्जी से ना आजमाएं बल्कि इस बारे में उस चिकित्सा पैथी से संबंधित एक्सपर्ट या डॉक्टर की सलाह जरूर ले लें।