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छत्तीसगढ़ी ने दिए प्रतिभा को पंख, अर्निंग के साथ फिल्मों में एंट्री

छत्तीसगढ़ी कंटेंट में हास्य रंग सबसे ज्यादा पसंद किया जाता है। कुछ लोग किसी प्रोडक्ट के प्रमोशन में भी छत्तीसगढ़ी का प्रयोग कर रहे हैं। इंस्टाग्राम में सैकड़ों पेज हैं जहां छत्तीसगढ़ी कंटेंट की भरमार है।

रायपुरNov 27, 2024 / 11:10 pm

Tabir Hussain

छत्तीसगढ़ के गठन को 24 साल हो गए हैं। इसके बाद से छत्तीसगढ़ी तेजी से आगे बढ़ी, हालांकि इसे आठवीं अनुसूची में शामिल होने के लिए अभी भी इंतजार करना पड़ रहा है। सोशल मीडिया ने छत्तीसगढ़ी को मानो पंख दिए हों। छत्तीसगढ़ी कंटेंट इतने पसंद किए जा रहे हैं कि इन्हें कई मिलियन व्यूज मिल रहे हैं। कई ऐसे चेहरे हैं जो छत्तीसगढ़ी कंटेंट से प्रसिद्ध हुए और उन्हें सिल्वर स्क्रीन तक में देखा जा रहा है। राज्य में छोटे-बड़े 500 से ज्यादा कंटेंट क्रिएटर हैं। कोई कॉमेडी वीडियो बना रहा है तो कोई नई जानकारियों को लोगों तक पहुंचा रहा है। छत्तीसगढ़ी राजभाषा दिवस (28 नवंबर) पर हम इन्हीं बातों पर चर्चा कर रहे हैं।
प्रमोशन के मिल रहे काम

छत्तीसगढ़ी फिल्मों के प्रमोशन में ऐसे कंटेंट क्रिएटर को हायर किया जाता है जो छत्तीसगढ़ी में होते हैं। छोटे-मंझले क्रिएटर को एक रील, स्टोरी और पोस्ट डालने पर 3 से 5 हजार रुपए दिए जाते हैं। अगर फालोअर्स मिलियन में है तो इतने ही काम के उन्हें 25 हजार रुपए तक दिए जा रहे हैं। निर्देशक प्रणव झा कहते हैं, जब भी कोई गाना रिलीज होता है तो क्रिएटर्स के जरिए उनकी रील बनाए जाते हैं। इन क्रिएटर्स के फालोअर्स लाखों में होते हैं और वे भी रील बनाते हैं। इससे वह गाना ट्रेंड में आ जाता है। किसी भी फिल्म की सफलता में गाने अहम रोल अदा करते हैं।
अमलेश सुपर स्टार, अब धनेश की बारी

छत्तीसगढ़ी फिल्मों के वर्तमान में एकमात्र सुपरस्टार अमलेश नागेश यूट्यूब में कॉमेडी वीडियो बनाते हैं। वे इतने वायरल हुए कि रीजनल सिनेमा में उन्हें मौका मिल गया। यूट्यूब से बड़े पर्दे पर अपना नाम दर्ज कराने वालो में अनिल सिन्हा, आनंद मानिकपुरी, किसन सेन, एप्पी राजा, घनश्याम मिर्झा, अमन सागर, पकलू नायक, करण-किरण शामिल रहे। अब एक नया नाम धनेश साहू भी फिल्मी क्लब में शामिल होने जा रहा है। उसे एक नामी प्रोडक्शन हाउस ने साइन किया है। अनुज शर्मा का सफर भी छत्तीसगढ़ी से ही शुरू हुआ जो आज विधायक हैं।
रवि किशन से प्रेरणा लेने की जरूरत

ऋतुराज साहू, अध्यक्ष, एमए छत्तीसगढ़ी छात्र संगठन ने कहा कि जब तक छत्तीसगढ़ी को स्कूली शिक्षा से नहीं जोड़ा जाएगा तब तक लोग छत्तीसगढ़ी पर प्रश्नचिह्न खड़ा करते रहेंगे। छत्तीसगढ़ी की लिपि, व्याकरण, शब्दोकोष के साथ साहित्य भी उपलब्ध है। विडंबना देखिए कि कुछ ऐसी भाषाएं जिन्हें बोलने वाले 50 लाख भी नहीं लेकिन उन्हें आठवीं अनुसूची में शामिल किया गया है जबकि छत्तीसगढ़ी बोलने वाले डेढ़ से दो करोड़ हैं, इतना ही नहीं राज्य का गठन भी भाषायी आधार पर हुआ है। हमें गोरखपुर सांसद रवि किशन से प्रेरणा लेनी चाहिए जो भोजपुरी के पक्ष में हमेशा खड़े रहते हैं।
बुर्जुगों से पूछकर पहेलियोंं का संकलन

छत्तीसगढ़ी भाषा साहित्यकार डॉ. गीतेश अमरोहित ने छत्तीसगढ़ में विलुप्त हो रही पहेलियों का संकलन कर जनउला नामक पुस्तक प्रकाशित की है। दो सौ से अधिक पेज वाली इस पुस्तक में छत्तीसगढ़ के विभिन्न अंचलों में प्रचलित पहेलियों का संकलन किया गया है। अमरोहित ने बताया कि वर्तमान में छत्तीसगढ़ी भाषा की पहेलियां विलुप्त होने की कगार पर है। इस पुस्तक में करीब डेढ़ हजार पहेलियों का संकलन किया गया है। इसलिए मैंने छत्तीसगढ़ के विभिन्न स्थानों में जाकर बुर्जुगों से पूछ-पूछकर इन पहेलियोंं का संकलन किया है। इस पुस्तक की विशेष बात है कि एक पहेली के बाद उसका हिन्दी अर्थ भी प्रस्तुत किया गया है, जिससे हिन्दी भाषी लोग भी इस पुस्तक का लाभ ले सके। पहेलियों के नीचे कठिन छत्तीसगढ़ी शब्दों के हिन्दी अर्थ प्रस्तुत किए गए हैं, ताकि छत्तीसगढ़ी भाषा सीखने वाले लोगों को आसानी से समझ में आ जाए।

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