एक ही सवाल- हुड्डा या कोई और?
हरियाणा में दस साल बाद पूर्ण बहुमत के साथ कांग्रेस की वापसी के संकेत एग्जिट पोल में दिए गए हैं। मुख्यमंत्री पद को लेकर पिछले कई महीनों से भूपेन्द्र हुड्डा, कुमारी शैलजा और रणदीप सुरजेवाला के बीच खींचतान जगजाहिर है। चुनाव के नतीजों से पहले ही हुड्डा ने अपने समर्थक उम्मीदवारों से बातचीत शुरू कर दी है। वहीं शैलजा और सुरजेवाला को आलाकमान से उम्मीद बनी हुई है। तीनों ही नेता खुद को मुख्यमंत्री की दौड़ में शामिल बता रहे हैं। पार्टी परिणाम के बाद विधायकों की राय से सीएम बनाने की बात कह रही है लेकिन आलाकमान राजनीतिक हानि-लाभ देखकर निर्णय करेगा।Public Holidays: लगातार 5 दिन की छुट्टी, 10 से 14 अक्टूबर तक बंद रहेंगे स्कूल-बैंक और ऑफिस, जानिए क्यों
भूपेन्द्र हुड्डा: नं.1 दावेदार
क्यों बनेंगे – समर्थकों को बड़ी संख्या में टिकट मिला, जाट बहुल रोहतक संभाग की करीब ढाई दर्जन सीटों पर उनका असर जहां कांग्रेस को अच्छी सफलता की उम्मीद। दो बार सीएम का अनुभव है।असर: राजस्थान, दिल्ली, उत्तर प्रदेश और पंजाब में जाट समुदाय को साधा जा सकेगा।
No Cost EMI: फ्री में कुछ नहीं मिलता! नो-कॉस्ट ईएमआई पर खरीदारी ‘जीरो कॉस्ट’ नहीं, यहां समझें पूरा गणित
कुमारी शैलजा: दलितों को संदेश
क्यों बनेंगीं- दलित वर्ग के अच्छे वोट मिलने पर पार्टी देश में संदेश देने के साथ वफादारी का पुरस्कार दे सकती है। सरकार में रहने का अच्छा-खासा अनुभव है।असर: हुड्डा और उनके समर्थक विधायकों के रुख पर रहेगी नजर, जाट समुदाय की नाराजगी की आशंका।
रणदीप सुरजेवाला: सर्वसम्मति की आस
क्यों बनेंगे: संभावना कम लेकिन दो बड़े नेताओं की लड़ाई में मौका मिल सकता है। संगठन का अनुभव, हरियाणा में मंत्री भी रहे।असर: हुड्डा के सर्मथन के बिना सरकार चलाना मुश्किल।
दीपेन्द्र हुड्डा: युवा होने से मौका
क्यों बनेंगे: संभावना कम लेकिन पिता भूपेन्द्र हुड्डा की आयु (77 साल) के कारण पार्टी युवाओं के आगे लाने के बहाने दे सकती मौका।रयोग कर सकती है। रोहतक से चार बार सांसद।असर: परिवारवाद का आरोप लगेगा, सरकार चलाने में हो सकती है मुश्किल।
स्पष्ट बहुमत नहीं तो राजभवन की भूमिका अहम
जम्मू-कश्मीर में एग्जिट पोल त्रिशंकु विधानसभा की ओर इशारा कर रहे हैं। चुनाव पूर्व गठबंधन के लिहाज से कांग्रेस-नेशनल कॉन्फ्रेंस (एनसी) गठबंधन को बहुमत मिल सकता है लेकिन भाजपा की नजर परिणामों में सबसे बड़ा दल बनने पर है। यदि ऐसा होता है तो निर्दलीय, छोटे दल और राजभवन की भूमिका अहम हो जाएगी। भाजपा नेता बातचीत में आश्वस्त दिखते हैं कि वे सरकार बनाने में सक्षम होंगे। बहुमत के आंकड़े तक पहुंचने में राज्यपाल की ओर से पांच विधायकाें के मनाेनयन का भी भाजपा को लाभ मिल सकता है। भाजपा और एनसी जम्मू-कश्मीर में निर्दलीय उम्मीदवारों के संपर्क में हैं।ये हो सकते हैं विकल्प
1 नेशनल कॉफ्रेंस-कांग्रेस
पहली स्थिति: 90 सीट वाले सदन में यदि एनसी सबसे बड़ा दल बनकर उभरता है तो सरकार बनाने में कोई परेशानी नहीं होगी।दूसरी स्थिति: एनसी भले ही सबसे बड़ा दल न बने, लेकिन कांग्रेस व पीडीपी के साथ मिलकर विधायकों की संख्या 48 या इससे अधिक हो गई तो इंडिया गठबंधन की सरकार बन सकती है। पीडीपी ने इंडिया गठबंधन के समर्थन की बात कही है।