इस मौके पर वरिष्ठ रामस्नेही पीठ राम धाम रेण के आचार्य सज्जनराम महाराज ने सत्संग की महिमा बताते हुए कहा कि संतों के सानिध्य में आने से जीवात्मा के पापकर्म मिटने के साथ ही पुण्य कर्मों में वृद्धि होती है। आचार्य ने कहा कि संतों की कोई जाति या धर्म नहीं होता, वे सदैव परमार्थ व परहित के लिए अपना जीवन व्यतीत करते हैं।
नरेना के संत सुखदेव महाराज ने भक्ति की महिमा बताते हुए कहा कि भक्ति से ही व्यक्ति का व्यक्तित्व विकसित होने के साथ ही उसका लोक और परलोक सुधर जाता है। रेण धाम के उत्तराधिकारी संत बस्तीराम महाराज ने कहा कि संतों की तपोभूमि पर उनके तप का हजारों वर्षों तक प्रभाव रहता है। जिसका लाखों श्रद्धालुओं को फायदा मिलता है। इस अवसर पर पौ धाम महंत रामनिवास दास महाराज ने रेण धाम के संत दरियाव महाराज, बुटाटी धाम के संत चतुरदास महाराज, पौ धाम के बाबा सुखरामदास महाराज की तपस्या और उसके प्रभाव के बारे में बताया। उन्होंने कहा कि तीनों महापुरुषों ने मानव जीवन के कल्याण के लिए कठिन तपस्या कर सिद्धियां प्राप्त की, जिसके कारण आज लाखों लोगों का कल्याण हो रहा है। करुणा मूर्ति धाम भादवासी के त्यागी संत हेतमराम महाराज ने माता, पिता, गुरु, संतों व गाय की सेवा का महत्व समझाया।
भजनों पर झूमे श्रद्धालु भजन संध्या में दरियाव आश्रम कुचेरा के सुखदेव महाराज, भगवान दास महाराज पौ धाम, कूम्पड़ास के सज्जनदास महाराज, श्रीराम शास्त्री रेण, ओमदास महाराज निम्बड़ी सहित संतों के गाये सुरीले भजनों पर श्रद्धालु झूमने लगे।
मन्दिर समिति का किया बहुमान दोदिवसीय वार्षिकोत्सव के दौरान संत चतुरदास महाराज मन्दिर में बेहतर व्यवस्था के लिए संत चतुरदास महाराज मन्दिर विकास समिति अध्यक्ष देवेन्द्र सिंह बुटाटी सहित पदाधिकारियों, कर्मचारियों का आचार्यों व संतों ने बहुमान किया।
जमकर हुई खरीददारी बुटाटी के संत चतुरदास महाराज मेले में जमकर खरीदारी हुई। महिलाओं ने घरेलु उपयोग व सौन्दर्य प्रसाधन सामग्री, बच्चों के खिलौने, मिठाई आदि की खरीदारी की।