गर्भावस्था के दौरान डायबिटीज की शिकार होने वाली महिलाओं की संख्या में बीस फीसदी का इजाफा हुआ है। नागौर के जेएलएन अस्पताल के आंकड़ों की मानें तो पांच साल पहले इनकी संख्या कम थी। बदलती लाइफ स्टाइल के कारण गर्भवती महिलाओं में डायबिटीज के साथ हाइपरटेंशन तेजी से बढ़ा है। डायबिटिक गर्भवती से जन्म लेने वाले तीस फीसदी बच्चे ही इस बीमारी से बच पाते हैं। 70 फीसदी नवजात डायबिटीज से ग्रसित हो जाते हैं। गिने-चुने मामले ऐसे पाए गए जहां स्वस्थ मां ने डायबिटीज से ग्रसित बच्चे को जन्म दिया।
क्या कहते हैं चिकित्सक
जेएलएन अस्पताल की स्त्री एवं प्रसूति रोग विशेषज्ञ डॉ. दीपिका व्यास ने बताया कि गर्भावस्था में हार्मोन में बदलाव के कारण ब्लड शुगर लेवल बढ़ जाता है। इस कारण् डायबिटीज होने की संभावना बढ़ जाती है। कुछ माताएं प्रसव के बाद डायबिटीज से मुक्त हो जाती हैं, लेकिन तमाम महिलाएं जेस्टेशनल डायबिटीज की शिकार हो जाती हैं। आमतौर पर अस्पताल में सिजेरियन डिलीवरी काफी कम होती थीं। यह कुछ माह में बढ़ी हैं। नागौर के अगस्त से जनवरी के आंकड़ों पर नजर डालें तो 2648 डिलीवरी में से 580 सिजेरियन हुईं।