यह दास्तां है सुरपालिया थाने से करीब सौ मीटर दूर बुरड़ी फांटा पर गुरुवार की रात ट्रक की चपेट में आई सवारी गाड़ी के ड्राइवर फूलचंद (30) की। न भाई को पता था कि ऐसा होने वाला है न ही फूलचंद को खबर थी कि वो चंद मिनटों में मौत के आगोश में समा जाएगा। जेएलएन अस्पताल की मोर्चरी में फूलचंद के गांव आभावास (रींगस) के महेश यह बताते हुए फफक पड़ा। उसने बताया कि फूलचंद तीन भाई हैं, एक छोटा और एक बड़ा। कुछ दिन पहले ही उसकी सगाई हुई थी। जल्द ही शादी होनी थी। उसके पिता और माता दोनों दिल की बीमारी से ग्रसित थे।
उनसे ही यह कहकर गया था, चिंता मत करो, जल्द आ जाऊंलो। फूलचंद आस-पड़ोस के लोगों की मदद को हमेशा तैयार रहता था। इस हादसे की खबर अब तक माता-पिता को नहीं दी, जब पता लगेगा तो भगवान जाने उन पर क्या गुजरेगी। सवारी गाड़ी में फूलचंद के पड़ोसी सुआलाल का ही परिवार था। बिना किसी लोभ-लालच के सुआलाल ने कुछ दिन पहले ही रामदेवरा चलने को कहा था, फूलचंद इसके लिए तैयार हो गया।
ट्रक ने क्रूजर जीप को मारी टक्कर, पांच जातरूओं की दर्दनाक की मौत
फूलचंद के घर वालों ने भी मना किया, लेकिन नहीं माना। बोला, दो-तीन दिन की बात है, कह दिया है तो जाना पड़ेगा। पास-पड़ोस का मामला था, सात सितंबर की रात करीब दस बजे वे रवाना हुए। सुआलाल, उसकी पत्नी, दो पुत्र-बहुएं, आधा दर्जन बच्चे, भाई व उनके परिवार समेत सत्रह लोग इसमें सवार थे। पहले रामदेवरा गए। वापस आते समय सालासर जा रहे थे, फिर सीकर, खाटूश्याम होते हुए गांव आभावास जाते। सुरपालिया के बुरड़ी फांटा के पास ही हादसा हो गया। फूलचंद, सुआलाल का एक बेटा, दो बहुएं और एक पोता काल के गाल में समा गए।
फ्रेंड की गला घोंटकर हत्या, लाश के साथ बिताई रात, नशे में उगला सच
39 हजार लेकर गया था, एक रुपया नहीं मिला
फूलचंद के एक रिश्तेदार ने बताया कि फूलचंद किसी को देने के लिए कहीं से 39 हजार लेकर आया था, वो उसे दे नहीं पाया। जल्दी में ये रकम लेकर सुआलाल के साथ चल गया। हादसे के बाद उसके शव को एम्बुलेंस से जेएलएन लाया गया, लेकिन उसके पास एक रुपया भी नहीं मिला। ऐसे ही कुछ हताहतों के पास से नकदी-जेवर गायब होने की जानकारी मिली है।