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नागौर

कैसे बचेगी बेटियां, न बजट खर्च कर पाए और न पूरी बैठकें

हाल-ए- बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ योजना : लिंगानुपात में आई गिरावट, पोक्सो के मामलों में बढ़ोतरी- छह महीने में जिला स्तर पर दो बैठक व 15 ब्लॉक में हुई मात्र 20 बैठकें- विधायक ने विधानसभा में लगाया प्रश्न तो अधिकारियों को याद आई योजना

नागौरOct 07, 2022 / 02:54 pm

shyam choudhary

Beti Bachao-Beti Padhao Scheme in Nagaur

Beti Bachao-Beti Padhao Scheme in Nagaur

नागौर. बेटियों को बचाने के साथ पढ़ाने के उद्देश्य को लेकर सात साल पहले शुरू की गई बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ योजना के तहत जिले में पिछले साढ़े चार साल से खानापूर्ति की जा रही है। योजना के तहत किए जा रहे कार्यों का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि पिछले चार साल केन्द्र सरकार ने जो बजट दिया, जिले के अधिकारी उसे न तो पूरा खर्च कर पाए और न ही पूरी बैठकें कर सके।
राज्य के महिला एवं बाल विकास विभाग की ओर से विधानसभा में दी गई जानकारी के अनुसार नागौर जिले में लिंगानुपात में गिरावट दर्ज की गई है, जबकि नाबालिग बालिकाओं के साथ हो रहे बलात्कार के मामलों में नागौर का नाम प्रदेश में 7वें स्थान पर हैं, यानी यहां एक साल में पोक्सो के तहत दर्ज होने वाले केसों की संख्या 100 से ज्यादा है।
गौरतलब है कि बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ योजना पिछले छह वर्ष से संचालित है। हालांकि प्रधानमंत्री ने 22 जनवरी 2015 को इसे भारत के 100 जिलों में शुरू किया गया था तथा 8 मार्च 2018 को इस योजना को पूरे देश में लागू कर दिया। नागौर सहित प्रदेश के सभी जिलों में पिछले साढ़े चार साल से बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ योजना चल रही है।
ये हैं योजना के लक्ष्य
इस योजना के तहत मुख्य रूप से लिंगानुपात को सुधारना, संस्थागत प्रसव में हर वर्ष कम से कम 1.5 प्रतिशत की बढ़ोतरी करना, सैकंडरी एजुकेशन में बालिकाओं का नामांकन बढ़ाना, स्कूलों में बालिकाओं के लिए अलग से टॉयलेट की व्यवस्था करना, बालिकाओं में कम वजन व एनीमिया की समस्या को समाप्त करना, बालिकाओं को सुरक्षा प्रदान करने सहित कई लक्ष्य तय किए गए, लेकिन केवल बैठकों में बजट खर्च कर टाइमपास किया जा रहा है।
ब्लॉक टास्क फोर्स व जिला टास्क फोर्स की बैठकें
वित्तीय वर्ष – जिला टास्क फोर्स – ब्लॉक टास्क फोर्स
2018-19 – 5 – 13
2019-20 – 5 – 26
2020-21 – 4 – 21
2021-22 – 4 – 45
2022-23 – 2 – 20
बाल विवाह और पोक्सो के मामले लगा रहे दाग
खींवसर विधायक नारायण बेनीवाल की ओर से गत माह विधानसभा में लगाए गए एक सवाल के जवाब में सरकार ने जो जानकारी दी है, वह चौंकाने वाली है। सरकारी रिपोर्ट के अनुसार नागौर जिले में वर्ष 2014-15 से 2020-21 के कार्यकाल में बालिकाओं का लिंगानुपात 2 अंक गिरा है। इसी प्रकार बाल विवाह के मामलों में भी नागौर को चिह्नित किया गया है। प्रदेश के 14 जिलों में नागौर का नाम 10वें नम्बर पर है। जिले में पोक्सो के मामलों में भी बढ़ोतरी हो रही है। निदेशालय चाइल्ड राइट की वर्ष 2020 की रिपोर्ट अनुसार प्रदेश के आठ जिले ऐसे हैं, जहां एक साल में 100 से ज्यादा पोक्सो के मामले दर्ज किए जा रहे हैं, जिसमें नागौर 7वें स्थान पर है। यानी यहां नाबालिग बालिकाओं की सुरक्षा भी सुनिश्चित नहीं हो पाई है, जो पुलिस का जिम्मा है।
50 लाख का प्रावधान, आज तक पूरा नहीं ले पाए
योजना के तहत प्रत्येक जिले को 50 लाख रुपए का बजट देने का प्रावधान है, लेकिन नागौर जिला पिछले चार साल में आज तक पूरा बजट नहीं ले पाया और जो मिला, उसे पूरा खर्च नहीं कर पाए। सरकारी रिपोर्ट के अनुसार प्रदेश में झुंझुनूं और पाली ही दो ऐसे जिले हैं, जिन्होंने इस योजना के तहत 50 लाख रुपए खर्च किए हैं। नागौर का नाम 15-25 लाख खर्च करने वाले जिलों में है। सरकार का कहना है कि बजट के पूर्ण उपयोग के लिए विभाग की ओर से समय-समय पर जिला कलक्टर को दिशा-निर्देश जारी किए जाते हैं तथा आवंटित राशि उपयोग नहीं किए जाने पर लेप्स नहीं होती है, भारत सरकार की ओर से अवशेष राशि के अगले वित्तीय वर्ष में उपयोग के लिए पुनर्वेद्यकरण किया जाता है। हालांकि नागौर कलक्टर का कहना है कि इस वर्ष का बजट तो अब तक सरकार ने ही नहीं दिया है।
वित्तीय वर्ष – आवंटित राशि – व्यय राशि
2018-19 – 24.45 लाख – 16.37 लाख
2019-20 – 24.93 लाख – 15.76 लाख
2020-21 – 9.30 लाख – 9.28 लाख
2021-22 – 30 लाख – 25.50 लाख

अभी बजट ही नहीं मिला
बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ योजना के तहत हमने जिला स्तरीय एक्शन प्लान बनाकर भेज दिया, लेकिन अभी तक बजट ही नहीं मिला है। गत माह मैंने जिला स्तरीय बैठक में सम्बन्धित अधिकारियों को एक्शन प्लान अनुसार योजना की निर्धारित गतिविधियां पूरी करने के निर्देश दिए हैं। जहां तक लिंगानुपात कम होने व पोक्सो केस बढऩे की बात है तो एक बार मैं इस अपडेट पता करवा लेता हूं।
– पीयूष समारिया, जिला कलक्टर, नागौर

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