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नागौर

युवतियां छोड़ रही बाबुल का घर तो विवाहिताएं छोड़ रही ससुराल व बच्चे

सपने बिखर रहे हैं, अपने बिछड़ रहे हैं। बदलाव की बयार में नाबालिग बालिकाएं ही नहीं युवती/विवाहिताएं भी शामिल हैं और वो भी तकरीबन चौगुनी।

नागौरNov 13, 2024 / 09:12 pm

Sandeep Pandey

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पड़ताल

नागौर. सपने बिखर रहे हैं, अपने बिछड़ रहे हैं। बदलाव की बयार में नाबालिग बालिकाएं ही नहीं युवती/विवाहिताएं भी शामिल हैं और वो भी तकरीबन चौगुनी। कड़वा सच भी यही है कि युवतियां तो बाबुल का घर छोड़ ही रहीं हैं, विवाहिताएं अपना ससुराल/बच्चे तक छोडऩे में भी नहीं झिझक रहीं। तकरीबन आठ साल पहले औसतन चार दिन में एक युवती/विवाहिता की गुमशुदगी दर्ज होती थी जो अब रोजाना हो रही है।
सूत्रों के अनुसार शादी का दबाव या फिर दबाव में हुई शादी के बाद करीब पंद्रह फीसदी मामलों में यही देखा जा रहा है। लड़का पसंद नहीं आने पर युवती प्रस्ताव ठुकरा कर अपने प्रेमी के साथ घर छोड़ देती है। शादी के बाद कई विवाहिताएं अलग-अलग कारणों से घर छोड़ रही हैं, कोई पुराने प्रेमी के साथ घर बसाने तो कोई नए प्रेमी के साथ जीवन बिताने के लिए। वो भी गैरकानूनी तरीके से। ऐसी अधिकांश विवाहिताएं तलाक भी नहीं लेती। नए बदलाव की एक कड़ी लिव इन रिलेशन भी मौजूद है, विवाह भी ना करो और साथ-साथ रह भी लो , ताकि कोई इन रिश्तों को चुनौती नहीं दे सके।
सूत्र बताते हैं कि पिछले सात-आठ साल से विवाहिता/युवततियों की गुमशुदगी में तेजी से इजाफा हुआ है। अकेले नागौर जिले की बात करें तो वर्ष 2016 में जहां इनकी संख्या सिर्फ 93 थी जो इस साल यानी 2024 में 322 हो गई, जबकि अभी साल को पूरा होने में दो माह बाकी है। वर्ष 2016 से वर्ष 2024 (अक्टूबर) तक कुल 1912 युवती/विवाहिताओं की गुमशुदगी दर्ज हुई, इनमें 207 अब तक नहीं मिल पाई हैं। कॉलेज स्टूडेंट, नौकरी/कामकाजी महिला, दो-तीन बच्चों की मां तक अपने पति/ससुराल को छोड़कर मायके नहीं गईं, पता नहीं नए जीवन की तलाश के लिए किसके साथ सफर करना तय किया।
शादी के चंद दिन/महीने बाद या पहले भी…

पता चला है कि कई मामलों में शादी के चंद दिन/महीनों बाद विवाहिता ससुराल छोड़ गई। साथ में जेवरात/नकदी ले गई सो अलग। ढूंढने के बाद मिलीं तो पता चला कि किसी अफेयर के चलते जीवन साथी को बदल दिया। असल में ससुराल से प्रताडि़त होने वाली विवाहिताएं सीधे मायके जाती हैं, नए जीवन शैली और अपने तरीके से जिंदगी जीने की जिद के चलते भी इस तरह के फैसले लिए जा रहे हैं, जो विवाहिता/युवतियों के लिए भी कोई खासे लाभ दायक नहीं होते, उलटा दो घर बर्बाद होते हैं सो अलग।
साल दर साल का हाल

वर्ष गुमशुदा वापस मिले शेष

2016 93 86 7

2017 135 131 4

2018 188 179 9

2019 182 172 10

2020 153 143 10
2021 247 230 17

2022 266 230 36

2023 330 290 40

2024 (अक्टूबर)322 248 74

(अठारह साल से अधिक आयु की युवती/विवाहिताएं)

इस तरह करीब नौ साल में 1912 युवती/विवाहिताएं गुम हुईं, इनमें से 207 अब तक नहीं मिल पाई। ऐसा नहीं कि पुलिस ने इन्हें तलाश नहीं किया पर बालिग होने के साथ इनके परिजनों की ओर से भी अधिक दबाव नहीं देने या फिर मनमर्जी से जीवन निर्वाह करने वाली इन महिला/युवतियों को ढूंढा ही नहीं गया।
अब बालिग (पुरुष) ज्यादा नहीं

आंकड़ों पर गौर करें तो पिछले नौ साल में अठारह साल से अधिक वाले युवा/पुरुषों ने महिला/विवाहिताओं की तुलना में काफी कम घर छोड़ा है। सिर्फ 605 की गुमशुदगी दर्ज हुई, इनमें से अभी 86 लापता हैं। महिला/विवाहिताओं की तुलना में यह एक तिहाई से भी कम है।

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