भाजपा के लिए इसे बड़ा झटका इसलिए भी माना जा रहा है, क्योंकि केंद्र और प्रदेश में उसकी ही सरकार है। इतना ही नहीं मुजफ्फरनगर की सभी 6 विधानसभा सीटों पर भाजपा के ही विधायक हैं और मुजफ्फरनगर लोकसभा सीट से सांसद भी भाजपा के ही हैं। ऐसे में जिला पंचायत के वार्ड 35 को भाजपा ने गंवा दिया, जिस पर दंगे के बाद हुए त्रिस्तरीय चुनाव में भाजपा प्रत्याशी व वर्तमान विधायक विक्रम सिंह सैनी ने जीत हासिल की थी। बता दें कि यह सीट विक्रम सिंह के विधायक चुने जाने के बाद उनके इस्तीफे से खाली हुई थी। इस सीट पर पूरे जनपद की निगाहें थी।
बता दें कि गुरुवार को हुए उपचुनाव में मतदान के बाद से ही लोगों ने हार और जीत के जोड़ तोड़ शुरू कर दी थी। मगर नतीजे ऐसे आएंगे इसका किसी को भी अंदाजा नहीं था। अब देखना यह होगा कि इस सीट को हारने के बाद भाजपा में किस तरह की हलचल होती है। इस सीट पर विधायक विक्रम सिंह सैनी की भी प्रतिष्ठा लगी हुई थी, जो पूरी तरह से धराशाई हो गई। आपको बता दें कि जनपद मुजफ्फरनगर में हुए 2013 में सांप्रदायिक दंगों के बाद से भाजपा के नेता यह कहते दिखाई देते रहे हैं कि भाजपा जिले में कोई चुनाव नहीं हारी। मगर हाल ही में हुए निकाय चुनाव में भाजपा को जनपद में करारी हार मिली थी।
कैदियों के लिए सीएम योगी ने की ऐसी व्यवस्था जो आज तक कोई नहीं कर सका लोगों की कसौटी पर खरा उतरेंगे इस सीट पर जीत दर्ज करने वाले नवनिर्वाचित जिला पंचायत सदस्य सुभानी ने कहा कि उनकी जीत को क्षेत्र के लोगों की जीत है। सभी लोगों ने जाति धर्म को पीछे छोड़ते हुए मतदान किया है, जिससे उनकी जीत हुई है और वे उनकी कसौटी पर खरा उतरेंगे।
काम , होश आने पर खुला राज हिंदू मुस्लिम एकता का नतीजा मुजफ्फरनगर के जमीयत उलेमा-ए-हिंद के एक पदाधिकारी मौलाना नजर ने जिला पंचायत की उपचुनाव की इस जीत को हिंदू मुस्लिम एकता का नतीजा करार दिया और कहा कि जनपद में 2013 में हुए सांप्रदायिक दंगों के बाद जवाब जमीयत उलेमा-ए-हिंद वह शाहिद सिद्दीकी और राष्ट्रीय लोकदल उपाध्यक्ष
जयंत चौधरी इस मुहिम को लेकर आगे बढ़े हैं। उसी के चलते कव्वाल के पूर्व प्रधान सुभानी को हर बिरादरी हर समाज का वोट मिला है।