11 रणबांकुरों के हाथों करगिल जाएगा मशाल
रविवार को इंडिया गेट के पीछे युद्ध स्मारक पर रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने अनंत ज्योति से विजय मशाल को प्रज्जवलित। सिंह ने मशाल सेना के उन 11 रणबांकुरों को सौंपा जो इसे करगिल युद्ध स्मारक ले जाएंगे।
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द्रास की विजय मशाल में होगा विलीन
विजय मशाल राजपथ से होते हुए पहले राष्ट्रपति भवन के प्रांगण तक जाएगी और वहां से उसे 11 शहरों और कस्बों से होते हुए 26 जुलाई को द्रास ले जाया जाएगा। मशाल को टाइगर हिल, तूलिंग पॉइंट और पॉइंट 4875 पर भी ले जाया जाएगा आखिर में ये कारगिल सेक्टर में पहाड़ी चोटियों पर स्थित द्रास की विजय मशाल में जाकर मिल जाएगी।
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कहानी करगिल की
बीस साल पहले पाकिस्तानी घुसपैठियों को करगिल सहित कई अन्य चोटियों से खदेड़ने और भारत की विजय के रूप में इस दिन को मनाया जाता है। करगिल के 18 हजार फीट की ऊंचाई पर 26 जुलाई 1999 को भारत और पाकिस्तान के बीच लड़ाई लड़ी गई थी, जिसमें भारत ने अभूतपूर्व जीत दर्ज की। तभी से इस दिन को विजय दिवस के रूप में मनाया जाता है।
लगभग दो महीनों तक चलने वाला यह अभियान 26 जुलाई को पूरा हुआ था और इन चोटियों पर तिरंगा लहराया गया था। युद्ध में देश ने अपने 527 से ज्यादा वीर सपूतों को खोया था वहीं 1300 से ज्यादा घायल हुए थे।