खास बात यह है कि गैस रिसाव कांड के ठीक पांच घंटे बाद ही ये FIR दर्ज भी कर दी गई।
आपको बात दें कि विशाखापट्टनम में 7 मई की सुबह एलजी पॉलिमर फैक्ट्री में स्टिरीन गैस का रिसाव होने से 11 लोगों की मौत हो गई थी।
लॉकडाउन-4 में शुरू हो रही है मेट्रो ट्रेन, डीएमआरसी का पूरा स्टाफ तैयार! विखाखापट्टम की फैक्ट्री में हुए गैस रिसाव कांड की जांच के लिए राज्य सरकार ने उच्च स्तरीय जांच कमेटी का गठन किया लेकिन स्थानीय पुलिस की ओर से दर्ज एफआईआर ने इस मामले को एक नया मोड़ दे दिया है।
गोपालपट्टनम थाने में जो FIR रिपोर्ट दर्ज की है, वह चौंकाने वाली है। 7 मई को दुर्घटना के करीब पांच घंटे बाद दर्ज FIR में एलजी पॉलिमर फैक्ट्री के किसी कर्मचारी का नाम नहीं है।
FIR में लिखा गया है कि फैक्ट्री से कुछ धुआं उठा, वहां कुछ बदबूदार हवा थी और इसी ने वहां लोगों की जिंदगी को खतरे में डाल दिया। रिपोर्ट पर नजर दौड़ाएं तो करीब साढ़े तीन बजे कंपनी से कुछ धुआं निकला, जो बदबूदार था, इसकी वजह से पड़ोसी गांव प्रभावित हुए।
हवा की गंध से भागने लगे लोग
बदबूदार हवा के गंध ने मानव जीवन को खतरे में डाल दिया और डर के कारण, सभी ग्रामीण घरों से निकलकर भागने लगे। इस घटना में 5 लोगों की मौत हो गई और शेष लोगों को अस्पतालों में रोगियों के रूप में भर्ती कराया गया।
शराब के लिए 60 वर्षीय पिता ने मारी लोगों को गोली, 33 साल पहले मां की भी कर चुका हत्या 10 की बजाय 5 लोगों की मौत बताई खास बात यह है कि FIR में पांच लोगों की मौत की पुष्टि हुई है लेकिन जिस वक्त एफआईआर दर्ज हुई, उस वक्त तक 10 लोगों की मौत हो चुकी थी।
इतना ही नहीं, एफआईआर में स्टिरीन गैस का उल्लेख तक नहीं है, जबकि घटना के दिन पुलिस अधिकारियों ने इस गैस की उपस्थिति की पुष्टि की थी। एफआईआर में कंपनी से किसी भी कर्मचारी का भी नाम नहीं है।
प्राथमिकी आईपीसी की धारा 278 (वातावरण को स्वास्थ्य के लिए हानिकारक बनाते हुए), 284 (जहरीले पदार्थ के संबंध में लापरवाहीपूर्ण आचरण), 285 (खतरे में डालने वाली वस्तु के साथ किसी भी तरह का काम), 304-II (जयह जानते हुए भी की इस कृत्य से मृत्यु का खतरा है) के तहत दर्ज की गई है।