संजय शर्मा, मेरठ. क्या आप यकीन कर सकते हैं कि फैक्ट्री में जिन वाहनों को बनाने में कई माह लग जाते हैं, उनका सिर्फ दस से 20 मिनट में एक-एक पुर्जा अलग हो सकता है आैर गुप्त गोदामों में खरीद के लिए रख दिया जाता है। चोरी का दुपहिया हो या चार पहिया कार, दोनों जब यहां कटने आते हैं, तो एक ही समय में 10 से 15 एक्सपर्ट मिस्त्री इन वाहनों पर टूट पड़ते हैं आैर दस से 20 मिनट में वाहनों को इस कदर खोलकर रख देते हैं कि पता ही नहीं चलता कि यहां कोर्इ वाहन भी आया था। दरअसल हम बात कर रहे हैं एशिया के सबसे बड़े चोरी के वाहनों के कटान बाजार की। इतना ही नहीं इस अवैध कारोबार पर यहां कोर्इ हाथ नहीं डालता, क्योंकि पुलिस के साथ ‘महीने’ की जबरदस्त सेटिंग जो होती है। इसलिए चोरी के वाहन कटने के लिए शहर का साेतीगंज क्षेत्र देश में ही नहीं बल्कि पूरे एशिया में भी मशहूर है।
800 दुकानें, 100 गोदाम, 350 कांट्रेक्टर
चोरी हुए दुपहिया, कार आैर लक्जरी कारों के कटान के लिए सोतीगंज में करीब 800 दुकानें, 100 गोदाम आैर चोरी के वाहनों को यहां लाने वाले 350 से ज्यादा कांट्रेक्टर सक्रिय हैं। इन कांट्रेक्टरों का काम यूपी, उत्तराखंड, दिल्ली, हरियाणा, पंजाब, मध्यप्रदेश के साथ-साथ नेपाल व अन्य पड़ोसी देशों की चोरी की गाड़ियों के लिए सम्पर्क करके यहां मंगवाते हैं आैर फिर मिनटों में दुकानों व गोदामों में इनका कटान होता है।
चोरी के वाहनों के रेट लगते हैं एेसे
सूत्रों के अनुसार मान लिया 20 लाख रुपये की कोर्इ लक्जरी कार चोरी की यहां आती है तो चोर को इसकी कंडीशन देखकर कांट्रेक्टर 50 से 60 हजार रुपये तक दे देता है। अगर चोर ने किसी तीसरे व्यक्ति को बेच दी आैर वह व्यक्ति यहां गाड़ी कटवाने आता है तो उसे डेढ़ से दो लाख रुपये तक रकम देकर कांट्रेक्टर लक्जरी कार अपने कब्जे में ले लेता है आैर 20 मिनट में 10 से 15 मिस्त्रियों से खुलवाकर उनके पार्ट्स अपने गोदाम में रखवा देता है। ये पार्ट्स चार से पांच लाख रुपये में बिक जाते हैं। इसी तरह चोरी की बाइक के भी रेट तय हैं। चोरी की हीरो स्प्लेंडर व अन्य बाइकें यहां कांट्रेक्टर द्वारा चार हजार रुपये तक में ले ली जाती है। फिर 10 मिनट में काटकर इसके पार्ट्स 14-15 हजार रुपये में बिकवाने के लिए दुकान आैर गोदाम में रख दिए जाते हैं।
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योगी सरकार में 100 से हुए 50 वाहन
सोतीगंज में वाहन कटने के लिए तीन महीने पहले तक रोजाना यहां 100 वाहन आते थे, अब यह घटकर 50 हो गए हैं। सूत्रों की मानें तो अब इस कमी को पूरा करने के लिए दुर्घटना आैर नीलामी वाले वाहनों पर कांट्रेक्टर्स की नजर है।
यहां के वाहन कटते हैं बाहर
सूत्रों की मानें तो मेरठ के चोरी हुए वाहन का कटान सोतीगंज में नहीं किया जाता, यह इसलिए कि जल्द ही पकड़े जाने का खतरा होता है। मेरठ के दुपहिया आैर कारें मुजफ्फरनगर, दिल्ली, हापुड़, रुड़की, गाजियाबाद में कटवाई जाती हैं। सूत्रों का कहना है कि सदर थाना पुलिस भी लाेकल वाहन काटने से मना करती है, ताकि अफसरों को कोर्इ दबाव उन पर नहीं पड़े।
अवैध कटान करने वाले कर्इ करोड़पति
बरसों से चल रहे इस अवैध कटान के तार अंतरराज्यीय व नेपाल जैसे देश भी जुड़ गए हैं। यहां के कुछ लोगों ने यह धंधा इतना बड़ा कर लिया कि खुद करोड़ाें में खेल रहे हैं आैर कुछ बड़े लोगों से भी खासे संबंध हैं।
पुलिस से सेटिंग बगैर यह खेल नहीं
सोतीगंज बाजार में वाहन कटान का इतना बड़ा अवैध कारोबार बिना पुलिस से सेटिंग के बगैर नहीं चल सकता। इसलिए सदर थाना पुलिस कभी सोतीगंज में अपनी मर्जी से छापा मारने नहीं आती। बताते हैं कि अवैध कटान करने वाले कर्इ ग्रुप पुलिस को लाखों रुपये महीने देते हैं। इसलिए पुलिस ने सोतीगंज में वाहन कटान पर हाथ नहीं डाला। दो दिन पहले भी सोतीगंज में दिल्ली पुलि ने स्थानीय अफसरों को जानकारी देते हुए यहां छापा मारा, लेकिन मिला कुछ नहीं। एसपी सिटी मान सिंह चौहान का कहना है कि पहले भी इस तरह के आरोप सदर थाना पुलिस पर लगे हैं, लेकिन सामने कुछ नहीं आया। हम अपने स्तर से यहां छापे की कार्रवार्इ तेज करेंगे।