डिप्टी सीएम अजित पवार की मां ने भगवान विट्ठल से की प्रार्थना
महाराष्ट्र की सियासत में नया मोड़ तब आया जब उपमुख्यमंत्री अजित पवार की मां आशा पवार ने पंढरपुर स्थित विट्ठल-रुक्मिणी मंदिर में दर्शन के दौरान शरद पवार और अजित पवार के एकजुट होने की प्रार्थना की। आशा पवार का यह बयान ऐसे समय पर आया है जब एनसीपी के भीतर विभाजन की स्थिति बनी हुई है और महाराष्ट्र की राजनीति में नई हलचल मची है।
जानिए आशा पवार ने क्या कहा
आशा पवार ने पत्रकारों से बातचीत में कहा कि सभी विवाद खत्म होने चाहिए। अजित पवार और शरद पवार को एक होना चाहिए। उन्होंने अजित पवार की सभी इच्छाओं के पूरा होने के लिए भी भगवान से प्रार्थना की। आशा पवार का यह भावनात्मक बयान शरद पवार और अजित पवार के बीच बढ़ती दूरी को कम करने की पहल माना जा सकता है।
सियासी मायने
यह बयान संकेत देता है कि परिवार के भीतर अभी भी एकता की संभावनाएं बरकरार हैं। यदि ऐसा होता है, तो यह महाराष्ट्र की राजनीति में बड़ा बदलाव ला सकता है। शरद पवार और अजित पवार के बीच यदि सुलह होती है, तो यह पार्टी के लिए एक मजबूती का संकेत होगा।
वर्तमान स्थिति और भविष्य की संभावना
अजित पवार के नेतृत्व में एनसीपी का एक धड़ा महाराष्ट्र सरकार में भाजपा-शिवसेना के साथ है।
शरद पवार I.N.D.I.A गठबंधन के साथ विपक्षी राजनीति का नेतृत्व कर रहे हैं। अगर शरद पवार और अजित पवार फिर से एकजुट होते हैं, तो यह न केवल एनसीपी को मजबूती देगा बल्कि विपक्षी गठबंधन को भी ताकत देगा। यह देखना दिलचस्प होगा कि भाजपा और शिवसेना इस संभावित सुलह पर कैसी प्रतिक्रिया देती हैं।
क्या बदलेगी राजनीति?
राजनीतिक समीकरणों में बदलाव के कयास लगाए जा रहे हैं। महाराष्ट्र की सियासत में अनिश्चितता बनी हुई है, जहां एनसीपी के दो धड़ों के बीच फिर से मेल-मिलाप की संभावनाओं पर चर्चा हो रही है। अगले लोकसभा और विधानसभा चुनावों के मद्देनजर, अजीत और शरद पवार के एक होने से विपक्षी गठबंधन को मजबूत करने में मदद मिल सकती है। महाराष्ट्र में बीजेपी-शिवसेना सरकार और विपक्षी गठबंधन (I.N.D.I.A) के बीच लगातार शक्ति परीक्षण चल रहा है। यदि शरद और अजीत पवार की राजनीतिक दूरियां घटती हैं, तो यह राज्य की राजनीति में बड़ा बदलाव ला सकता है। महायुति सरकार के 9 मंत्रियों ने अभी तक नहीं संभाला पदभार
महाराष्ट्र की महायुति सरकार (भाजपा-शिवसेना-एनसीपी गुट) के गठन के बाद राजनीतिक असंतोष खत्म होने का नाम नहीं ले रहा है। मंत्रिमंडल विस्तार और विभागों के बंटवारे के बाद भी राज्य सरकार के नौ मंत्रियों द्वारा अभी तक पदभार ग्रहण न करना एक बड़े राजनीतिक विवाद का संकेत देता है।
पालक मंत्री का मुद्दा
सरकार द्वारा विभागों के बंटवारे में कुछ मंत्रियों को अपेक्षित पद नहीं मिलने के कारण नाराजगी की खबरें सामने आ रही हैं। मंत्रियों का यह कदम महायुति सरकार के भीतर जारी खींचतान और आंतरिक असंतोष को दर्शाता है। पालक मंत्री (जिन्हें जिलों की जिम्मेदारी सौंपी जाती है) को लेकर भी विवाद चल रहा है। कुछ मंत्री अपने लिए अधिक प्रभावशाली जिलों की जिम्मेदारी चाहते हैं। 25 नवंबर को नागपुर के शीतकालीन सत्र से पहले 39 मंत्रियों ने शपथ ली। सत्र खत्म होने के बाद विभागों की घोषणा की गई, लेकिन विवाद खत्म होने की बजाय बढ़ गया।