पंडित भारत ज्ञान भूषण के अनुसार जन्माष्टमी पर रात 12 बजे श्रीकृष्ण के बाल रूप को नार वाले खीरे के साथ जन्म कराएं। नार वाला खीरा देवकी मां के गर्भ का प्रतीक माना जाता है। श्रीकृष्ण के जन्म के बाद शंख से दूध, दही, घी, शहद और गंगाजल का अभिषेक करें। अभिषेक के बाद कन्हैया को साफ लाल कपड़ा पहनाएं, सिर पर मुकुट लगाकर झूले में बैठाएं। जन्माष्टमी के दिन छोटे कान्हा को मक्खन और मिश्री चढ़ाएं। साथ ही कान्हा की पूजा में तुलसी का प्रयोग करें। एक से पांच साल की उम्र के बीच के किसी भी बच्चे को अपनी उंगली से मक्खन और मिश्री को चटाएं। इसके आप कन्हैया को भोग अर्पित करने की अनुभूति होगी।
उन्होंने बताया कि घर पर इस दिन गाय-बछड़े की मूर्ति लाएं और पूजा स्थल पर रखकर उनकी पूजा करें। अगर घर पर ऐसा नहीं कर सकते तो जन्माष्टमी पर किसी कृष्ण मंदिर में जाकर फल और अनाज का दान करें। छोटे कान्हा के लिए बांसुरी और मोर पंख मंदिर में दान करें। घर के आसपास गाय मिले तो उसको चारा खिलाएं और आशीर्वाद लें। भगवान को पीले चंदन का लेप लगाएं। पीले कपड़े पहनाएं और भगवान को हरसिंगार, पारिजात या शेफाली के फूल चढ़ाएं।