इस खबर का असर यह हुआ कि कैंट बोर्ड की बैठक में पश्चिम उत्तर प्रदेश सब-एरिया हेडक्वार्टर के जीआेसी और कैंट बोर्ड के अध्यक्ष मेजर जनरल के. मनमीत सिंह, सीर्इआे राजीव श्रीवास्तव, उपाध्यक्ष बीना वाधवा, वार्ड दो की मेंबर बुशरा कमाल समेत तमाम मेंबरों ने इस पर हर्ष जताया था आैर इसके रखरखाव पर चर्चा भी की थी। बैठक में निर्णय लिया गया था कि देश के सबसे पुराने इस शाॅपिंग माॅल को कैंट बोर्ड की काॅॅफी टेबल बुक में शामिल किया जाएगा आैर रक्षा मंत्रालय को यह प्रस्ताव भेजा जाएगा।
रक्षा मंत्रालय ने मांगी रिपोर्ट
कैंट बोर्ड ने रक्षा सम्पदा महानिदेशालय नर्इ दिल्ली को पत्रिका. काॅम में पब्लिश इस खबर की प्रति आैर कैंट बोर्ड के फैसले समेत सारी जानकारी भेज दी थी। रक्षा मंत्रालय में कैंट क्षेत्र में देश के सबसे पुराने शाॅपिंग माॅल होने की फाइल पहुंची, तो रक्षा मंत्रालय ने इस संबंध में कैंट बोर्ड से विस्तृत जानकारी मांगी। इसमें उन्होंने पत्रिका.काॅम में प्रकाशित इस खबर को हिन्दी से अंग्रेजी भाषा में ट्रांसलेट कर भेजने के लिए कहा है। कैंट बोर्ड के एर्इ पीयूष गौतम ने बताया कि इस खबर का अक्षरशः इंग्लिश ट्रांसलेट किया गया है।
कैंट बोर्ड के प्रवक्ता ने दी ये जानकारी
कैंट बोर्ड के प्रवक्ता हाजी एमए जफर ने कहा कि रक्षा मंत्रालय ने ‘देश को पहला शाॅपिंग माॅल 1902 में ही दे दिया था मेरठ ने, जानें पूरा सच’ पर काफी जानकारी मांगी है। देश के सबसे पुराने शाॅपिंग माॅल अब तक कर्इ शहरों से दावा होता आया है, लेकिन मेरठ कैंट का यह शाॅपिंग माॅल सबसे पुराना है, क्योंकि यह 11 मार्च 1902 में शुरू हुआ था। रक्षा मंत्रालय इसे धरोहर के रूप में संजोकर रखना चाहता है, इसलिए वहां से इसके बारे में एक-एक जानकारी मांगी गर्इ है।
एेसा है देश का सबसे पुराना शाॅपिंग माॅल
अब तक देश में सबसे पुराने शाॅपिंग माॅल पर तमाम दावे होते रहे हैं, लेकिन पत्रिका.काॅम की खबर पर रक्षा मंत्रालय ने अपनी मुहर लगा दी है। कैंट क्षेत्र के वार्ड दो में लालकुर्ती के घोसी मोहल्ले में ब्रिटिश सैन्य अफसरों ने इस सोच के साथ 11 मार्च 1902 में यह शाॅपिंग माॅल बनवाया था। इसका खास उद्देश्य यह था कि खाने-पीने की वस्तुआें के लिए सैन्य और सिविलियंस को जगह-जगह नहीं भटकना पड़े आैर सबकुछ उन्हें किफायती दामों में एक ही छत के नीचे मिल सके। इस शाॅपिंग माॅल में छोटी-बड़ी 40 दुकानें थीं आैर मेरठ के आसपास के लोग भी यहां खरीदारी के साथ-साथ माॅल में घूमने आते थे, क्योंकि इस माॅल की बिल्डिंग बहुत शानदार तरीके से बनार्इ गर्इ थी। माॅॅल की दीवारें लाल ब्रिक कल्प की दो फुट चौड़ी आैर छत ब्लैक स्टोन की बनार्इ गर्इ थी। बाहर लाॅन में हरी घास और पेड़-पौधे लगाए गए थे। बताते हैं कि लोग खरीदारी के साथ-साथ यहां काफी वक्त बिताते थे। ब्रिटिश राज खत्म होने के बाद यहां के दुकानदार ज्यादा मुनाफा कमाने के फेर में यहां से निकलते गए। यहां आैर इसके आसपास अवैध कब्जे होते गए। इस शाॅपिंग माॅल में उस समय काफी भीड़ रहती थी।