एसपी क्राइम मेरठ अनित कुमार ने बताया कि 2016 में देहलीगेट के रहने वाले मीट कारोबारी जमीर अहमद ने बुलंदशहर में मीट फैक्ट्री लाइसेंस के लिए पूर्वा फैय्याज अली निवासी व कपड़ा कारोबारी सलीम से संपर्क किया था। सलीम ने बताया था कि उसके संपर्क गाजीपुर निवासी अवधेश यादव से हैं। जो पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के सहपाठी रहे हैं। इस संपर्क के माध्यम से बुलंदशहर में मीट फैक्ट्री का लाइसेंस दिलवाने की बात कही। इसके लिए सलीम ने जमीर अहमद से दो करोड़ में लाइसेंस दिलाने का सौदा किया। उसके बाद लखनऊ के एक होटल में फर्जी मीट फैक्ट्री का लाइसेंस देकर दो करोड़ की रकम भी वसूल कर ली। इस ठगी में सलीम के अलावा अन्य चार साथी शामिल थे। दो करोड़ की वसूली के बाद सलीम ने मेरठ छोड़ दिया और वह दिल्ली के कसाबपुरा में मकान खरीदकर रहने लगा।
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मीट कारोबारी जमीर अहमद ने जब मीट फैक्ट्री के लाइसेंस की फाइल अधिकारियों को दिखाई तो पता चला कि बुलंदशहर के लिए मीट फैक्ट्री का कोई भी लाइसेंस जारी नहीं किया गया है। इसके बाद जमीर अहमद की ओर से देहलीगेट थाने में सलीम सहित पांच आरोपियों पर मुकदमा दर्ज कराया गया। विवेचना क्राइम ब्रांच को सौंपी गई। एसपी क्राइम ने बताया कि चार आरोपियों को पुलिस पहले जेल भेज चुकी है। मुख्य आरोपी सलीम दिल्ली के कसाबपुरा में छिपा हुआ था। उस पर एसएसपी की ओर से 15 हजार का इनाम घोषित किया गया था। एसओजी की टीम ने सलीम को दिल्ली के कसाबपुरा से गिरफ्तार कर जेल भेज दिया।