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यूपी के इस शहर के लिए सौगात, 82 किलोमीटर का सफर 55 मिनट में तय करेंगे लोग, रैपिड रेल प्रोजेक्ट का हुआ शिलान्यास इसी सर्वे के आधार पर ही दिल्ली से मेरठ तक रैपिड रेल चलवाने का प्रस्ताव लाया गया था, जो कि शुक्रवार को शिलान्यास के साथ ही पास हो गया। दिल्ली-गाजियाबाद-मेरठ रैपिड रेल ट्रांजिट सिस्टम (आरआरटीएस) के लिए 400 करोड़ रुपए की धनराशि सालाना बजट में आवंटित की गर्इ है। जारी आम बजट 2019-20 में हाईस्पीड ट्रांजिट सिस्टम के लिए खजाना खोल दिया है। एनसीआरटीसी के सीपीआरओ सुधीर कुमार शर्मा के अनुसार यह हाईस्पीड ट्रेन 60 मिनट से भी कम समय में मेरठ से नई दिल्ली की दूरी तय करेगी। यह एक नई समर्पित, तेज गति, उच्च क्षमता, आरामदायक कम्प्यूटर सेवा है, जो एनसीआर के क्षेत्रों को एक-दूसरे से जोड़ेगी। एनसीआरटीसी ने गाजियाबाद, मेरठ और दिल्ली में अपने क्षेत्र कार्यालय स्थापित किए हैं और उनमें अधिकारियों को नियुक्त किया है।
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Lok Sabha Election 2019: वेस्ट यूपी में जातियों की इस ‘तिकड़ी’ से बढ़ सकती हैं भाजपा के लिए मुश्किलें दिल्ली और गाजियाबाद में नहीं बची जमीन एसोचैम के सर्वे के मुताबिक एनसीआर में मेरठ को छोड़कर आसपास कहीं भी जमीन नहीं बची है। जहां पर कोई बड़ा सरकारी प्रोजेक्ट या प्राइवेट प्रोजेक्ट लांच किया जा सका। मेरठ को भविष्य के गुरूग्राम के रूप में देखा जा रहा है। हवाई अड्डा और रेपिड के चलने से मेरठ के व्यापारियों को भी इसका लाभ मिलेगा। इतना ही नहीं युवाओं के लिए तरक्की के रास्ते भी खुलेंगे। व्यापारी राजीव सिंघल का कहना है कि मेरठ में अपार संभावनाएं हैं, लेकिन गाजियाबाद और नोएडा के कारण मेरठ की तरक्की रूकी हुई थी। अब रैपिड के चलने से तरक्की के नए रास्ते खुलेंगे और मेरठ अत्याधुनिक सुविधाओं से युक्त होगा।