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एंजेल ब्रोकिंग हाउस के डिप्टी वाइस प्रेसिडेंट अनुज गुप्ता ने बताया कि अमरीका में पिछले सप्ताह तेल व गैस के कुओं में कमी आने से तेल का उत्पादन घटने की संभावना बनी हुई है जिससे कच्चे तेल के भाव को सपोर्ट मिलेगा। हालिया रिपोर्ट के अनुसार, अमरीका में पिछले सप्ताह तेल के कुओं की संख्या चार घटकर 784 रह गई है। अमरीका में अटलांटिक महासागर से उठने वाले तूफान का सीजन होने के कारण तेल का उत्पादन प्रभावित हुआ है।
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उन्होंने कहा कि खाड़ी क्षेत्र में अमरीका और ईरान के बीच तनाव से तेल की आपूर्ति प्रभावित होने का संकट बना हुआ है जिससे कीमतों को लगातार सपोर्ट मिल रहा है। गुप्ता ने कहा कि अगर अमरीका-चीन के बीच व्यापारिक तनाव के समाधान को लेकर प्रगति की कोई रिपोर्ट आती है तो इस सप्ताह ब्रेंट क्रूड का भाव 70 डॉलर प्रति बैरल से ऊपर जा सकता है।
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पिछले सप्ताह अंतर्राष्ट्रीय वायदा बाजार इंटरकांटिनेंटल एक्सचेंज (आईसीई) पर ब्रेंट क्रूड का सितंबर अनुबंध शुक्रवार को बीते सत्र से 0.54 की तेजी के साथ 66.88 डॉलर प्रति बैरल पर बंद हुआ, जबकि साप्ताहिक आधार पर ब्रेंट क्रूड के भाव में दो डॉलर से ज्यादा की तेजी दर्ज की गई। वहीं, अमरीकी लाइट क्रूड वेस्ट टेक्सास इंटरमीडिएट (डब्ल्यूटीआई) का अगस्त डिलीवरी वायदा अनुबंध शुक्रवार को बीते सत्र से 0.28 फीसदी की तेजी के साथ 60.37 डॉलर प्रति बैरल पर बंद हुआ।
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भारतीय वायदा बाजार मल्टी कमोडिटी एक्सचेंज (एमसीएक्स) कच्चे तेल का जुलाई अनुबंध शुक्रवार को 9 रुपए की तेजी के साथ 4,141 रुपए प्रति बैरल पर बंद हुआ, लेकिन साप्ताहिक आधार पर तेल के दाम में 200 रुपए प्रति बैरल से ज्यादा की तेजी दर्ज की गई। वहीं क्रूड ऑयल की कीमतों के बढऩे से स्थानीय स्तर पर पेट्रोल और डीजल की कीमत में असर देखने को मिल सकता है। जानकारों की मानें तो आने वाले दिनों में पेट्रोल और डीजल के दाम में बढ़ोतरी देखने को मिल सकती है।
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कच्चे तेल की कीमतों के बढ़ जाने से भारत की इकोनॉमी पर असर पड़ता हुआ दिखाई दे सकता है। अगले पांच सालों में भारत को 5 ट्रिलियन की इकोनॉमी बनाने में बड़ी अड़चन पैदा होगी। कच्चे तेल की कीमतों के इजाफे की वजह से भारत को विदेशी मुद्रा ज्यादा खर्च करनी होगी। जितनी विदेशी मुद्रा कम होगी, देश की स्थानीय करंसी को उतना ही नुकसन होगा। जिसका असर देश की अर्थव्यवस्था पर पड़ेगा।
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