पश्चिमाञ्चल विकास क्षेत्र के हृदय में स्थित कपिलवस्तु जिले की प्राचीन काल से ही अपना अलग पहचान है।भगवान बुद्ध की जन्म स्थली के रूप में अंतर्राष्ट्रीय महत्व के लुम्बिनी अञ्चल के ६ जिलो में एक जिला है कपिलवस्तु । किवदन्ती मुताबिक बाणगंगा नदी के तट पर तप किए कपिल मुनि के आज्ञानुसार बस्ती बनाए गए इस जिले का नाम कपिलवस्तु पड़ा है । नेपाल के मानचित्र में इस जिले के पूरब में रुपन्देही, उत्तर में अर्घाखांची, दक्षिण में भारत का उत्तर प्रदेश तथा पश्चिम में दांग जिला बिद्यमान है । आर्थिक सामाजिक तथा भौगोलिक रुप में अपने आप में सबल कपिलवस्तु विश्वप्रसिद्ध जिला है।
हालही में देश में प्रतिनिधि सभा तथा प्रदेश सभा का निर्वाचन समाप्त हुआ है जिसके बाद प्रान्तीय सरकार निर्माण तथा प्रदेशीय राजधानी बनाने की चर्चा जोरो पर है । जिसमें प्रदेश नम्बर ५ की राजधानी कपिलवस्तु होने की चर्चे तेज है और सभी इसके लिए एक मत हैं। किसी भी देश में प्रान्त की राजधानी तय करने से पहले उस जगह की भौगोलिक, सामाजिक, आर्थिक तथा शैक्षिक अवस्था जैसी जरुरी चीजे उपयुक्त हैं या नही ? तथा सर्वसाधारणजन उस जगह को महत्व दे रहे हैं या नही ? इन सब बातों को ध्यान में रखकर ही सरकार राजधानी मुख्यालय का चयन करती है।यहां के जनप्रतिनिधियों के मुताबिक प्रदेश नम्बर 5 की राजधानी कपिलवस्तु होना समग्र नेपाली के लिए गर्व की बात हैं।
वैसे तो 5 नम्बर प्रदेश के राजधानी के रुपमें अपने अपने करिबी तथा सुगम स्थान की मांग एवं तर्क उठने लगे हैं।जिसमे दांग के तुलसीपुर, बुटवल आदि जगह चर्चा मे हैं पर बर्दिया जिले के पश्चिम से लेकर नवलपरासी के पुर्वी सीमा तक महेन्द्र राजमार्ग के हिसाब से मध्य में कपिलवस्तु ही स्थित है । नवलपरासी, गुल्मी, पाल्पा, अर्घाखाची, प्युठान व रोल्पा के लोगों के आवागमन के सुगमता को ध्यान में रखते हुए कपिलवस्तु को ही राजधानी बनाना उचित है। कपिलवस्तु भगवान गौतम बुद्ध के पिता शुद्धोधन के राजधानी तिलौराकोट का ऐतिहासिक एवं पुरातात्विक महत्व विश्व में प्रसिद्ध है।
तिलौराकोट के पास से बह रही बाणगंगा नदी से पेयजल तथा सिचाई एवं अन्य जलीयआवश्यकताओं की पुर्ती होने की सम्भावना है। साथ ही चेतरादेई के पास रहे जंगल का कुछ हिस्सा काटकर कई कार्यालयों के लिए भवन निर्माण भी किया जा सकता है।इसके एवज में सरकार को मुआवजा भी नही देना पडेगा ।महेन्द्र राजमार्ग तथा भैरहवा एयरपोर्ट के समीप एवं २२ किलोमिटर के दुरी पर भारतीय रेलमार्ग की सुविधा भी उपलब्ध है।
कपिलवस्तु में राजा शुद्धोधन का राज्य तिलौराकोट प्राचीन कपिलबस्तु न्यायालय के रुप में विद्यमान कुदान भारतीय सम्राट अशोक द्वारा निर्मित गोटियहवा और निग्लिहवा के अशोक स्तम्भ 77,000 शाक्यों का बौद्ध स्थल सगरहवा जैसे स्थान महत्व पूर्ण पर्यटकीय स्थल कनक मुनि बुद्ध का शहर अरौराकोट राजा शुद्धोधन और रानी मायादेवी की समाधि स्थल धमनिहवा तथा सिसहनियाकोट जैसे 100 से अधिक बौद्ध स्थान हैं। कपिलवस्तु विश्व में बुद्ध के राज्य के नाम से सुप्रसिद्ध है । विश्वभर से हरसाल लाखो पर्यटक बुद्ध के राज्य कपिलवस्तु का भ्रमण करने आते हैं।
कपिलवस्तु के नेपाली कांग्रेस के सांसद अभिषेक प्रताप शाह कहते हैं कि कपिलवस्तु के प्रदेश नम्बर ५ की राजधानी कायम हो जाय तो इन स्थानों का विकास तथा संरक्षण होने में बिल्कुल सन्देह नही रहेगा।वहीं मधेसी दल से पराजित सांसद उम्मीदवार मंगल प्रसाद गुप्ता ने भी कपिलवस्तु को ही प्रदेश नंबर पांच की राजधानी बनाया जाना उपयुक्त बताया है।