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NHRM घोटाला: आरोपी डॉक्टरों को नहीं राहत, हाईकोर्ट ने मुकदमा रद्द करने से किया इंकार

नेशनल रूरल हेल्थ मिशन (NRHM) घोटाले मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने आरोपी सीएमओ डॉक्टर काशीराम के खिलाफ सीबीआई कोर्ट में चल रहे मुकदमे को रद्द करने से मना कर दिया है।

लखनऊSep 30, 2020 / 03:41 pm

Karishma Lalwani

NHRM घोटाला: आरोपी डॉक्टरों को नहीं राहत, हाईकोर्ट ने मुकदमा रद्द करने से किया इंकार

NHRM घोटाला: आरोपी डॉक्टरों को नहीं राहत, हाईकोर्ट ने मुकदमा रद्द करने से किया इंकार

प्रयागराज. नेशनल रूरल हेल्थ मिशन (NRHM) घोटाले मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने आरोपी सीएमओ डॉक्टर काशीराम के खिलाफ सीबीआई कोर्ट में चल रहे मुकदमे को रद्द करने से मना कर दिया है। कोर्ट ने साक्ष्य के अभाव में मुकदमा रद्द किया है। कोर्ट का कहना है कि याची के पास मुकदमा रद्द करने का कोई आधार नहीं है। जस्टिस सुनीत कुमार की बेंच ने यह आदेश दिया है।
क्या है मामला

एनएचआरएम घोटाला उत्तर प्रदेश के चर्चित घोटालों में से एक है। 2005 में राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन के तहत प्रदेश के कुल 72 जिलों में कई योजनाएं लागू की गई थीं। इन योजनाओं में फर्जी आंकड़े दिखाकर करीब पांच हजार करोड़ का घोटाला किया गया था। इसका राजफास नियंत्रक व महालेखा परीक्षक कैग की रिपोर्ट में हुआ था। यूपी सरकार की नाक के नीचे हुए इस घोटाले की जांच का काम सीबीआई को सौंपे जाने के बाद मंत्री, राजनेता व वरिष्ठ अधिकारियों के नाम सामने आए। इस घोटाले में तीन सीएमओ समेत सात लोगों की जान जा चुकी है।
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कैग की रिपोर्ट के अनुसार, अप्रैल 2005 से मार्च 2011 तक एनआरएचएम में लोगों की सेहत सुधार के लिए 8657.35 करोड़ रुपये मिले, जिसमें से 4938 करोड़ रुपये नियमों की अनदेखी कर खर्च किए गए। करीब 300 पेज की रिपोर्ट में लिखा गया है कि एनआरएचएम में 1085 करोड़ रुपये का भुगतान बिना किसी के हस्ताक्षर ही कर दिया गया। बिना करार के ही 1170 करोड़ रुपये का ठेका चंद चहेते लोगों को दिया गया। निर्माण, खरीद संबंधी धनराशि को खर्च करने के आदेश जारी करने में सुप्रीम कोर्ट और सीवीसी के निर्देशों का पालन नहीं किया गया। इसका नतीजा भ्रष्टातार रहा। परिणाम स्वरूप जांच में केंद्र से मिले 358 करोड़ और कोषागार के 1768 रुपयों करोड़ का हिसाब राज्य स्वास्थ्य सोसाइटी की फाइलों में सीएजी को नहीं मिला। 23 जिलों की सीएजी जांच के दौरान एनआरएचएम में मिली धनराशि के खर्च का लेखा-जोखा तैयार करने के दौरान फर्जीवाड़े की सच्चाई सामने आई।
टैबलेट को ज्यादा दामों में बेचा

रिपोर्ट में दिखाया गया कि एक रुपये 40 पैसे में मिलने वाली 10 टैबलेट के पत्तों को दो रुपये 40 पैसे से लेकर 18 रुपये तक में खरीदा गया। 2008-09 के वित्तीय वर्ष में दवा खरीद मामले में 1.66 करोड़ रुपये का घोटाला होने की बात रिपोर्ट में सामने आई। एनआरएचएम के कार्यक्रम मूल्यांकन महानिदेशक की ओर से 2005 से 2007 के बीच 1277.06 करोड़ रुपये एनआरएचएम के लेखा-जोखा से मेल नहीं खाते हैं।
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कम रखे गए स्टाफ और नर्स

केंद्र सरकार से डाक्टर, नर्स व एनम रखने के लिए धनराशि मिलने के बावजूद 8327 की जगह केवल 4606 स्टाफ नर्से रखी गईं और कागजों में नर्सों और स्टाएफ की संख्या मानक के मुताबिक दिखाकर करोड़ों रुपये निकाल लिए गए। स्टाफ के मद में सरकार 76 फीसदी कोटा ही पूरा कर सकी।
जननी सुरक्षा योजना में भी धांधली

सीएजी रिपोर्ट के अनुसार सुरक्षित मातृत्व योजना में बीपीएल परिवार की महिलाओं का प्रसव कराने वाले निजी नर्सिग होम को प्रति डिलीवरी 1850 रुपये मिलना था। इस योजना के तहत बहराइच में राज अस्पताल को 258 बीपीएल महिलाओं का प्रसव कराने के लिए 6.77 लाख रुपये दिए गए लेकिन किसी महिला से बीपीएल का दस्तावेज नहीं लिया गया जो जरूरी था।

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