मुख्यमंत्री के निर्देश पर आवास विभाग ने संशोधित लैंड पूलिंग नीति तैयार की है। दरअसल, आवास विभाग फरवरी 2019 में पहली बार लैंड पूलिंग नीति लेकर आया था। इसमें कई तरह की खामियां होने की वजह से शहरी क्षेत्रों में जरूरत के आधार पर जमीन की व्यवस्था नहीं हो पा रही है। इसलिए यूपी के अधिकारियों को गुजरात, आंध्र प्रदेश और दिल्ली राज्यों की नीति को देखने के लिए भेजा गया। सभी में गुजरात मॉडल सबसे बेहतर परिणाम के साथ सामने आया। इसलिए तय किया गया है की यूपी में इस नीति के आधार पर ही लैंड पूलिंग स्कीम 2021 तैयार की जाएगी।
लैंड पूलिंग से मिलने वाले फायदे योगी सरकार की लैंड पूलिंग नीति से किसानों या भूस्वामियों की स्वेच्छा से नए उद्योगों को लगाने के लिए जमीन लिए जाने में मदद मिलेगी। इसके लिए उत्तर प्रदेश सरकार भूस्वामियों को पांच हजार रुपये प्रति एकड़ प्रतिमाह के हिसाब से पांच सालों तक मुआव्जा देगी। साथ ही साथ भूस्वामियों की 25 प्रतिशत विकसित भूमि लॉटरी के माध्यम से वापस की जाएगी। लैंड पूलिंग पॉलिसी के तहत किसान या भूस्वामियों को पांच हजार रुपये प्रति एकड़ प्रतिमाह मिलने से उनकी आमदनी विकसित होगी। इससे वे प्रदेश के औद्योगिक विकास में भागीदार भी बन सकेंगे।
लैंड पूलिंग नीति की खास बातें – यूपी लैंड पूलिंग नीति किसानों या भूस्वामियों को उनकी मर्जी से ही अपनी भूमि सरकार को देने का अधिकार देती है। – भूमि के मालिकों को सरकार पांच सालों तक पांच हजार रुपये प्रति एकड़ के हिसाब से प्रतिमाह मुवाव्जा देगी।
– जमीन का 25 प्रतिशत हिस्सा लॉटरी के द्वारा भूस्वामियों को वापस भी कर दिया जायेगा। जिसे वह किसी को भी बेच सकेंगे। – यूपी औद्योगिक विकास प्राधिकरण के लिए ली गयी जमीन पर तीन सालों के भीतर ले आउट प्लान के तहत विकास कार्य करवाए जाएंगे।
– जमीन को पांच सालों बाद 90 प्रतिशत की दर पर वापस करने का भी अधिकार दिया गया है।
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