अब फिर से जारी होगी पंचायतों के आरक्षण की सूची, कोर्ट के फैसले से खिले चेहरे
अखिलेश यादव ने किया था 10वां संशोधन
वर्ष 2015 के पंचायत चुनाव से पहले तत्कालीन सपा सरकार ने आरक्षण की व्यवस्था बदल दी थी। इसके तहत यूपी पंचायतीराज नियमावली 1994 में 10वां संशोधन कर ग्राम प्रधान व ग्राम पंचायत सदस्य के पदों के पूर्व में हुए आरक्षण को शून्य कर दिया गया था। और वर्ष 2011 की जनगणना के आधार पर पंचायत चुनाव के लिए आरक्षण प्रक्रिया तय की गई थी। संशोधन के मुताबिक, ठीक इसी तरह वर्ष 2021 की जनगणना के बाद वर्ष 2025 के पंचायत चुनाव के समय 2015 और 2020 के चक्रानुक्रम आरक्षण को शून्य कर दिया जाएगा।
योगी सरकार ने 11वां संशोधन लाकर अखिलेश सरकार द्वारा 2015 में लाया गया 10वां संशोधन समाप्त कर दिया था। और वर्ष 1995 के आधार पर आरक्षण की सूची जारी की थी। इस फॉर्मूले के तहत 1995 के बाद से जो सीटें कभी भी आरक्षण के दायरे में नहीं आई थी, उन सभी को आरक्षित कर दिया गया था। अब फिर से नई लिस्ट जारी होगी।