याचिका में, याची के खिलाफ गुण्डा ऐक्ट के तहत कार्यवाही सम्बंधी लखनऊ के पुलिस कमिश्नर व मण्डलायुक्त के आदेशों को चुनौती दी गयी थी। याची के अधिवक्ता अमरजीत सिंह राखडा का कहना था कि याची के खिलाफ दो केसों के अलावा गुण्डा एक्ट के तहत कार्रवाई किए जाने लायक अन्य कोई सामग्री नहीं थी। ऐसे में याची के खिलाफ गुण्डा एक्ट के तहत कार्यवाही करना मनमाना और कानून के खिलाफ था। उधर, राज्य सरकार की तरफ से याचिका का विरोध किया गया।
अदालत ने सुनवाई के बाद कहा कि गुण्डा एक्ट के तहत उन आभ्यासिक अपराधियों के खिलाफ ही कार्यवाही किया जाना चाहिए जिनकी गतिविधियां लोक व्यवस्था बनाये रखने के लिए हानिकारक हों। कोर्ट ने कहा कि याची के खिलाफ दो केसों के अलावा पुलिस कमिश्नर व मंडलायुक्त के समक्ष गुण्डा एक्ट के आदेशों को पारित करने के लिए और कुछ नहीं था। ऐसे में ये आदेश ठहरने लायक नहीं हैं, लिहाजा इन्हें रद्द किया जाता है।