बहुजन समाज पार्टी ने बाबा साहेब आंबेडकर के सहारे अपनी सियासी जमीन तैयार की थी। कुछ वक्त पहले तक आंबेडकर पर बसपा अपना अधिकार जता रही थी, लेकिन 2014 के लोकसभा चुनाव से पहले ही नरेंद्र मोदी ने डॉ. भीमराव आंबेडकर के प्रति अपना भावनात्मक लगाव जाहिर किया और उनसे जुड़े स्थलों का तीर्थ के रूप में विकास कराकर बसपा के वोटबैंक में सेंधमारी का प्रयास किया। इसमें वह काफी हद तक सफल भी रहे।
लोकसभा चुनाव से पहले योगी आदित्यनाथ सरकार ने 1857 के स्वतंत्रता आंदोलन में अग्रेजों के छक्के छुड़ाने वाली पासी समाज की वीरांगना ऊदा देवी पासी की 100 फीट की प्रतिमा लखनऊ में लगवाने की घोषणा की थी। इसके लिए पासी समाज के हर व्यक्ति से लोहा जुटाने की रणनीति बनाई गई है। इतना ही नहीं, लखनऊ में ही ऊदा देवी के नाम पर राज्य सरकार एक मेमोरियल और एक पार्क भी बनवाने जा रही है।
उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य की अगुआई में समाजवादी नेता कर्पूरी ठाकुर समेत कई बड़े नेताओं की स्मृति में भाजपा ने उत्तर प्रदेश में जगह-जगह आयोजन किये। उनके नाम पर सड़क बनाने की घोषणाएं की गईं।
…तो इसलिए भाजपा को याद आ रहे हैं सुहेलदेव
महाराजा सुहेलदेवपासी समाज के महाराजा सुहेलदेव की विरासत पर बसपा अपना दावा जताती रही है, लेकिन लोकसभा चुनाव से पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गाजीपुर में महाराजा सुहेलदेव के नाम पर डाक टिकट जारी कर इस समुदाय के लोगों को रिझाने की कोशिश की।
लौह पुरुष सरदार बल्लभ भाई पटेल की गुजरात में प्रतिमा स्थापित करने के लिए देशभर से लोहा जुटाने के क्रम में उत्तर प्रदेश में भी भाजपा ने खूब भाग-दौड़ की। पटेल की जयंती व पुण्यतिथि पर कार्यक्रम भी आयोजित हुए।