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राजस्थान में खानबंदी से कोटा में 50 हजार लोगों का छीना रोजगार, सरकार को करोड़ों का नुकसान

एनजीटी कोर्ट के आदेश से कोटा में डेढ़ दर्जन से अधिक कोटा स्टोन की खदानें बंद हो गई है। इससे 50 हजार लोगों से रोजगार छीन गया।

कोटाDec 12, 2019 / 10:32 am

​Zuber Khan

kota stone mines

राजस्थान में खानबंदी से कोटा में 50 हजार लोगों का छीना रोजगार

रणजीत सिंह सोलंकी . कोटा. रामगंजमंडी. सरकार की ओर से नेशनल मुकुंदरा टाइगर रिजर्व ( Mukandra Hills Tiger Reserve ) क्षेत्र के दस किमी दायरे में खनन उत्पादन और व्यावसायिक गतिविधियों ( mining business ) के संचालन पर रोक लगाने का असर रामगंजमंडी व कोटा में भी नजर आने लगा है। इस दायरे में आई खानों में हाल ही उत्पादन बंद करवा दिया गया है। अब तक डेढ़ दर्जन कोटा स्टोन की खानें बंद हो चुकी हैं। ( Kota Stone Mines closed ) इससे प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष रूप से 50 हजार से अधिक श्रमिक बेरोजगार हो गए हैं। ( unemployment ) जिन खानों में दिन-रात पत्थरों की खनक सुनाई देती थी, वहां सन्नाटा छा गया है। इसका असर नए निवेश पर भी पड़ रहा है।
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हाड़ौती में लाइम स्टोन की सबसे बड़ी कम्पनी की खानें इस दायरे में आने से हाल ही उत्पादन बंद करवा दिया गया। पीपाखेड़ी, चेचट, सुकेत, लक्ष्मीपुरा, कुम्भकोट तथा सातलखेड़ी के पास की खानें इस दायरे में आ रही हैं। जिन खानों की पर्यावरणीय स्वीकृति की अवधि पूरी हो रही है, उन्हें पुन: स्वीकृति जारी नहीं की जा रही है। इस कारण एक-एक कर खानें बंद हो रही हैं। इस परिधि में आई जमीनों का व्यावसायिक भू उपयोग परिर्वतन भी नहीं किया जा रहा है। मण्डाना क्षेत्र में वन विभाग नए उद्योगों के लिए एनओसी भी जारी नहीं कर रहा।


पलायन करने लगे श्रमिक
खदानें बंद होने के साथ श्रमिक बस्तियों के रूप में गुलजार रहने वाली बस्तियों में सन्नाटा छाने लगा है। सहरावदा, कूकड़ा खदान की बस्तियों में श्रमिक अब काम की तलाश में पलायन करने लग गए हैं।

पत्थर इकाइयों पर भी आंच
कोटा स्टोन की खानबंदी का असर रामगंजमंडी के साथ कोटा की स्पलिटिंग इकाइयों पर भी पडऩे लगा है। कोटा में करीब ढाई सौ स्पलिटिंग इकाइयां संचालित हैं। खानों से कोटा स्टोन नहीं आने का असर यहां भी पडऩे लगा है।
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सरकार को राजस्व का नुकसान
कोटा स्टोन उद्योग में कार्यरत ट्रकों, उद्योगपतियों व व्यापारियों के निजी वाहनों से प्रति वर्ष सरकार को 10 करोड़ का राजस्व मिलता है। विद्युतीकृत कोटा स्टोन से विद्युत निगम को 8 करोड़ रुपए प्रति माह राजस्व मिलता है। कोटा स्टोन की खरीद-बिकवाली से राज्य सरकार के साथ केन्द्र सरकार को 2 करोड़ रुपए प्रतिमाह की राजस्व प्राप्ति होती है। कोटा स्टोन की रॉयल्टी से प्रति वर्ष 80 करोड़ का राजस्व प्राप्त होता है। कोटा स्टोन की खानों से पहले प्रतिदिन 200 से 250 ट्रक पत्थर का लदान होता था, जो घटकर 75 गाडिय़ां रह गया है। इसका असर ट्रांसपोर्ट कारोबार भी पडऩे लग गया है।

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