दूसरी ओर उत्तर प्रदेश के उलूम देवबंद ने भी मुसलमानों से फतवा जारी होने का इंतजार करने का आग्रह किया। उन्होंने कहा कि को वैक्सिन लेने से पहले यह परख लेना चाहुए कि इस्लाम में वैक्सिन लेने की अनुमति है या नहीं है।
एक समय मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के करीबी रहे इमाम बर्कति ने साफ कर दिया कि जब तक मुस्लिम घार्मिक नेताओं के सामने कोरोना वायस के वैक्सिन का फार्मूले का खुलासा नहीं किया जाता तब तक मुसलमान समुदाय के लोगों को वैक्सिन नहीं लेना चाहिए। यह हमारे के लिए ***** है। ***** का मांस खाना और इसे किसी रूप में इस्तेमाल करना इस्लाम में ***** है। ऐसे में वैक्सिन के फॉर्मूले के बारे में मुस्लिम धर्म गुरुओं को बताना पड़ेगा। उसके बाद मुसलमानों को वैक्सिन दिया जाए। पूर्व शाही इमाम नूर-उर रहमान बरकती ने 2018 में स्टिंग ऑपरेशन में उन्होंने यह कह कर विवाद खड़ा कर दिया था कि वे राजनीतिक पार्टियों के लिए मुस्लिम वोट तय कर सकते है। मौलवी ने यह भी स्वीकार किया जाता है कि वे पांच करोड़ में 25 लाख मुस्लिम मतदाओं को प्रभावित कर सकते हैं। वर्ष 2017 में केन्द्र सरकार की ओर से लाल बत्ती के इस्तेमाल पर प्रतिबंध लगाने के बाद लाल बत्ती का इस्तेमाल करने के लिए उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज किया गया। उन्होंने कहा था कि वे मोदी के आदेशों का पालन नहीं करता। वे उन्हें निर्देश देने वाला कौन होते हैं। ममता दीदी ने उन्हें लाल बत्ती इस्तेमाल करने को कहा है।