पाकिस्तान ने किया यूएन के प्रस्ताव का उल्लंघन
5 जनवरी को ‘कश्मीरियों के आत्मनिर्णय अधिकार दिवस’ के रूप में मनाने की बात करते हुए शहबाज ने संयुक्त राष्ट्र के पुराने प्रस्तावों का हवाला दिया। हालांकि, यह जगजाहिर है कि पाकिस्तान ने न सिर्फ इन प्रस्तावों की शर्तों को नजरअंदाज किया, बल्कि पीओके और गिलगित-बाल्तिस्तान जैसे क्षेत्रों में भी अवैध कब्जा जमाकर वहां के नागरिकों के अधिकारों को कुचला। कब्जे वाले जम्मू-कश्मीर में संयुक्त राष्ट्र की जनमत संग्रह की शर्तों का पाकिस्तान ने कभी पालन नहीं किया। शरीफ का यह बयान ऐसे समय में आया है कि जबकि खुद पाकिस्तानी कब्जे वाले कश्मीर के लोग सरकार के खिलाफ सड़कों पर हैं और इस इलाके में मानवाधिकारों के उल्लंघन का मुद्दा यूएन तक में उठा रहे हैं।
पीओजीबी और पीओजेके क्षेत्र सही मायने में भारत के हैं – यूएन में कश्मीरी युवा
पिछले दिनों जम्मू और कश्मीर के एक राजनीतिक कार्यकर्ता जावेद बेग ने संयुक्त राष्ट्र में पाकिस्तान को विफल राज्य बताते हुए वहां हो रहे मानवाधिकारों के उल्लंघन की चर्चा की थी। बेग ने यहां पाकिस्तान पर वैश्विक मंचों पर गलत सूचना फैलाने का आरोप लगाते हुए और जम्मू और कश्मीर तथा पाकिस्तान के कब्जे वाले जम्मू और कश्मीर (पीओजेके) और पाकिस्तान के कब्जे वाले गिलगित बाल्टिस्तान (पीओजीबी) की स्थितियों के बीच विषमता को भी उजागर किया था। जिनेवा में संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषदके 57वें सत्र में भाग लेने के बाद मीडिया से बात करते हुए बेग ने जोर देकर कहा था कि पाकिस्तान द्वारा फैलाए गए झूठ के बावजूद , पीओजीबी और पीओजेके क्षेत्र सही मायने में भारत के हैं। बेग ने कहा, 1947 में, हमारे पूर्वजों ने भारत के विचार के साथ विलय के दस्तावेज पर हस्ताक्षर किए थे। यह प्रामाणिक है, यह कागज पर है। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि ये क्षेत्र दशकों से पाकिस्तान के अवैध कब्जे में हैं। कब्जे वाले कश्मीर के युवाओं को चारे की तरह इस्तेमाल कर रहा पाक
बेग ने कहा भारत के कश्मीरी मुसलमान खेल, शिक्षा और सांस्कृतिक कूटनीति जैसे क्षेत्रों में अंतरराष्ट्रीय प्रतिनिधि के रूप में उभर रहे हैं, जबकि पाकिस्तान पीओजेके के युवाओं को कट्टरपंथ की ओर धकेला जा रहा है। पाकिस्तान उन्हें भारत के खिलाफ अपने छद्म युद्ध में तोप के चारे के रूप में इस्तेमाल करता है।