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संयुक्त राष्ट्र में कैसे पहुंचा कश्मीर का मुद्दा, वरिष्ठ कांग्रेस नेता ने नेहरू को बताया जिम्मेदार

Kashmir Issue In UN: संयुक्त राष्ट्र में जनमत संग्रह की मांग के प्रस्ताव की 75वीं बरसी के मौके पर कश्मीर के पूर्व सदर-ए-रियासत और वरिष्ठ कांग्रेस नेता कर्ण सिंह ने पंडित नेहरू पर हमला बोला है।

नई दिल्लीJan 06, 2025 / 09:30 am

Shaitan Prajapat

Kashmir Issue In UN: संयुक्त राष्ट्र में जनमत संग्रह की मांग के प्रस्ताव की 75वीं बरसी के मौके पर कश्मीर के पूर्व सदर-ए-रियासत और वरिष्ठ कांग्रेस नेता कर्ण सिंह ने नेशनल कॉन्फ्रेंस के संस्थापक शेख अब्दुल्ला पर ‘भयानक डोगरा विरोधी भावनाएं’ रखने का आरोप लगाते हुए कहा है कि पंडित नेहरू ने कश्मीर मुद्दे को संयुक्त राष्ट्र में ले जाकर गलती की थी। सिंह ने मीडिया से बात करते हुए कहा, मैं 18 साल की उम्र में राजनीति में आया क्योंकि हालात ऐसे बन गए थे कि मेरे पिता को बहुत ही दर्दनाक परिस्थितियों में राज्य छोड़ना पड़ा। इसका कारण, जाहिर है, शेख अब्दुल्ला थे। सिंह ने कहा कि उन्हें लगता है कि लॉर्ड माउंटबेटन ने ही उन्हें इस दिशा में धकेला। उन्होंने कहा, शेख अब्दुल्ला के मन में डोगरा विरोधी भावना हमेशा से रही है। इसलिए आखिरकार वे पंडित जी (नेहरू) के पास गए और कहा कि जब तक महाराजा हरि सिंह राज्य में हैं, तब तक वे चुनाव नहीं जीत सकते। दूसरी ओर, कब्जे वाले कश्मीर में लगातार मानवाधिकारों का उल्लंघन करते आ रही पाकिस्तान की सरकार ने एक बार कश्मीर राग अलापा है। पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने एक बार फिर कश्मीर के लोगों को आत्मनिर्णय के अधिकार पर फैसला का अधिकार दिए जाने पर गलत बयानी की है।

पाकिस्तान ने किया यूएन के प्रस्ताव का उल्लंघन

5 जनवरी को ‘कश्मीरियों के आत्मनिर्णय अधिकार दिवस’ के रूप में मनाने की बात करते हुए शहबाज ने संयुक्त राष्ट्र के पुराने प्रस्तावों का हवाला दिया। हालांकि, यह जगजाहिर है कि पाकिस्तान ने न सिर्फ इन प्रस्तावों की शर्तों को नजरअंदाज किया, बल्कि पीओके और गिलगित-बाल्तिस्तान जैसे क्षेत्रों में भी अवैध कब्जा जमाकर वहां के नागरिकों के अधिकारों को कुचला। कब्जे वाले जम्मू-कश्मीर में संयुक्त राष्ट्र की जनमत संग्रह की शर्तों का पाकिस्तान ने कभी पालन नहीं किया। शरीफ का यह बयान ऐसे समय में आया है कि जबकि खुद पाकिस्तानी कब्जे वाले कश्मीर के लोग सरकार के खिलाफ सड़कों पर हैं और इस इलाके में मानवाधिकारों के उल्लंघन का मुद्दा यूएन तक में उठा रहे हैं।

पीओजीबी और पीओजेके क्षेत्र सही मायने में भारत के हैं – यूएन में कश्मीरी युवा

पिछले दिनों जम्मू और कश्मीर के एक राजनीतिक कार्यकर्ता जावेद बेग ने संयुक्त राष्ट्र में पाकिस्तान को विफल राज्य बताते हुए वहां हो रहे मानवाधिकारों के उल्लंघन की चर्चा की थी। बेग ने यहां पाकिस्तान पर वैश्विक मंचों पर गलत सूचना फैलाने का आरोप लगाते हुए और जम्मू और कश्मीर तथा पाकिस्तान के कब्जे वाले जम्मू और कश्मीर (पीओजेके) और पाकिस्तान के कब्जे वाले गिलगित बाल्टिस्तान (पीओजीबी) की स्थितियों के बीच विषमता को भी उजागर किया था। जिनेवा में संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषदके 57वें सत्र में भाग लेने के बाद मीडिया से बात करते हुए बेग ने जोर देकर कहा था कि पाकिस्तान द्वारा फैलाए गए झूठ के बावजूद , पीओजीबी और पीओजेके क्षेत्र सही मायने में भारत के हैं। बेग ने कहा, 1947 में, हमारे पूर्वजों ने भारत के विचार के साथ विलय के दस्तावेज पर हस्ताक्षर किए थे। यह प्रामाणिक है, यह कागज पर है। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि ये क्षेत्र दशकों से पाकिस्तान के अवैध कब्जे में हैं।
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कब्जे वाले कश्मीर के युवाओं को चारे की तरह इस्तेमाल कर रहा पाक

बेग ने कहा भारत के कश्मीरी मुसलमान खेल, शिक्षा और सांस्कृतिक कूटनीति जैसे क्षेत्रों में अंतरराष्ट्रीय प्रतिनिधि के रूप में उभर रहे हैं, जबकि पाकिस्तान पीओजेके के युवाओं को कट्टरपंथ की ओर धकेला जा रहा है। पाकिस्तान उन्हें भारत के खिलाफ अपने छद्म युद्ध में तोप के चारे के रूप में इस्तेमाल करता है।

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