जिला कलक्टर सिद्धार्थ सिहाग ने यहां केन्द्रीय विद्यालय परिसर में जिला स्तरीय वन महोत्सव के तहत योजना का शुभारंभ किया। इस दौरान लोगों को औषधिय पौधे वितरित किए गए। इस मौके पर जिला कलक्टर सिद्धार्थ सिहाग सहित जिला पुलिस अधीक्षक मृदुल कच्छावा, उपवन संरक्षक रामानन्द भाकर, केन्द्रीय विद्यालय प्राचार्य पवनसिंह मीना, वन विभाग रेंजर देवेन्द्र सिंह आदि ने विद्यालय परिसर में पौधरोपण किया। साथ ही घर-घर औषधि योजना के तहत लोगों को औषधि पौधे की किट वितरित की गई।
इस मौके पर जिला कलक्टर सिहाग ने कहा कि औषधि पौधे आमजन के स्वास्थ्य के लिए मददगार साबित होंगे। इनके सेवन से रोग प्रतिरोधक क्षमता और विकसित होगी। पुलिस अधीक्षक मृदुल कच्छावा ने कहा कि प्रकृति का हमारे जीवन में विशेष महत्व है। हमें यह सोचना है कि प्रकृति हमें क्या देती है, उसका ध्यान रखते हुए पौधे लगाएं। साथ ही उनका संरक्षण किया जाए। उपवन संरक्षक रामानंद भाकर ने जानकारी दी कि जिले की वन विभाग की पौधशालाओं में आवंटित लक्ष्य के अनुसार चार प्रकार के औषधीय पौधे तैयार किए गए हैं।
जिले में योजना के तहत कुल 2 लाख 61 हजार से अधिक परिवार लाभान्वित होंगे। इस वर्ष जिले में पचास फीसदी यानि एक लाख 30 हजार से अधिक परिवारों को योजना से लाभान्वित किया जाएगा। इसके बाद अगले वर्ष शेष पचास फीसदी परिवारों को पौधे वितरित किए जाएंगे।
उपवन संरक्षक रामानंद भाकर ने बताया कि जिला मुख्यालय के साथ ही जिले के अन्य स्थानों पर भी योजना की शुरूआत हुई है। इधर 72वें जिला स्तरीय वन महोत्सव के दौरान विद्यालय परिसर में 50 से अधिक पौधे लगाए गए। पौधों में बड़, पीपल, नीम, अमरुद, अशोक के पौधे शामिल हैं। इस मौके पर विद्यालय स्टाफ, बच्चे व स्काउट मौजूद थे।
इन पौधों का शुरू हुआ वितरण
घर-घर औषधि योजना के तहत जिले की पौधशालाओं में औषधीय पौधे तैयार किए गए हैं। इनमें तुलसी, गोलोय, अश्वगंधा व कालमेघ के पौधे शामिल हैं। योजना के तहत पांच वर्ष में प्रत्येक परिवार को कुल 24 पौधे उपलब्ध कराए जाएंगे। चार प्रकार के औषधीय पौधों तुलसी, गिलोय, अश्वगंधा एवं कालमेघ के दो-दो पौधे यानि कुल 8 पौधे थैलियों में इस वर्ष सहित कुल पांच वर्षों में तीन बार वन विभाग की पौधशालाओं से नि:शुल्क उपलब्ध कराए जाएंगे। प्रथम वर्ष में जिले के आधे परिवारों में से प्रत्येक को 8 औषधीय पौधे, अगले वर्ष के शेष परिवारों में से प्रत्येक को 8 औषधीय पौधे उपलब्ध कराए जाएंगे। यही प्रक्रिया चौथे व पांचवे वर्ष में दोहराई जाएगी। जबकि तृतीय वर्ष में सभी परिवारों को 8 औषधीय पौधे दिए जाएंगे। यानि पांच वर्ष में तीन बार सभी परिवारों को आठ-आठ पौधे यानि कुल 24 पौधे मिलेंगे।