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कानपुर

बैंकों के अफसरों को सेवा के बदले मिली मेवा, एफआईआर के बाद कोठारी के रिश्तेदार खौफजदा

एक रिश्तेदार के चलते बैकिंग सिस्टम में बनाई पैठ, दस्तावेजी खामियों को नजरअंदाज कर बैंकों ने खोला खजाना

कानपुरFeb 23, 2018 / 05:45 pm

Vinod Nigam

Vikram Kothari scam
कानपुर। पेन-आफ-किंग के नाम से मशहूर विक्रम कोठारी पर बैंक ऐसे ही मेहरबान नहीं हुए, बल्कि बेटे की शादी के बाद वह बैंकों से संपर्क बनाया। बैंक में बड़े ओहदे पर बैठे रिश्तेदार की बल पर कोठारी ने बैंकों को जैसे चाहा, वैसे घुमाया। कोठारी के इसी रुतबे के आगे बैंकिंग व्यवस्थाएं और तमाम सारे नियम, कानून बौने साबित हुए। दस्तावेजी खामियों को नजरअंदाज करते हुए सात बड़े बैंकों ने उनके लिए अपना खजाना खोल दिया। लेकिन सीबीआई की एफआईआर के बाद कोठारी के एक रिश्तेदार खौफजदा हैं और बचने के लिए वकीलों और अन्य सफेदपोशों से मदद मांग रहे हैं। वहीं एफआईआर के बाद उनके निजी मकान तिलक नगर में शुक्रवार की सुबह से लेकर शाम तक सन्नाटा पसरा रहा। बंगले के अंदर सिर्फ एक गॉड नजर आया, पर वह कुछ भी बोलने को तैयार नहीं हुआ। इसके अलावा पेन किंग को कर्जा देनेवाले बैंक अफसरों पर शिकंजा कसने की तैयारी कर ली है। शहर में एक दर्जन से ज्यादा बैंक मैनेजर सीबीआई की रडार में हैं, जिनकी गिरफ्तारी किसी भी वक्त हो सकती है।
वैभवशाली गाथा खुद बयां करती दिखी कोठी
तिलकनगर स्थित विक्रम कोठारी की आलीशान कोठी ‘संतुष्टि अपनी वैभवशाली गाथा खुद बयां करती दिखी। । 3695 करोड़ रुपए की बैंक धोखाधड़ी के बाद उनका बंगला दुनिया भर की सुर्खियों में छा गया। गेट पर सिर्फ एक गाड अंदर बैठा दिखा, जो कुछ भी बातचीत करने को तैयार नहीं हुआ। आज सिर्फ एक बार गेट खुला, जब पोस्टमैन एक डॉक लेकर पहुंचा। गॉड ने डॉक लेकर उसे चलता किया। वहीं उनके शुभचिंतक भी घर नहीं पहुंचे। बतादें विक्रम कोठारी और उनके बेटे राहुल को सीबीआई दिल्ली ले गई थी, जहां उनसे पूछताछ करने के बाद देरशाम आईपीसी की धारा 120 (बी) 420, 468 के तहत एफआईआर दर्ज कर ली। वहीं आज तिलकनगर सड़क पूरी तरह शांत और खाली थी। बंगले के बाहर पूरी तरह सन्नाटा था। सुबह से शाम चार बजे तक मुख्य गेट केवल एक बार खुला। हमेशा गेट के बाहर खड़े रहने वाले गार्ड आज अंदर थे और बाहर नहीं निकले। शुभचिंतकों ने भी फिलहाल उनके घर से दूरी बनाए रखी है।
जितना चाहा, उतना कर्जा लिया
कोठारी को लोन देने वाले बैंकों के आला अफसरों को इस सेवा के बदले मेवा भी खूब मिली है। यही वजह रही कि कोठारी को दिए गए लोन के बदले 10 से 15 फीसदी कीमत वाली संपत्तियां ही बंधक रखी गईं। बैंकिंग इंडस्ट्री के सूत्र बताते हैं कि बड़े उद्योगपतियों को जो भी लोन दिया जाता है उसमें बैंकों के सीएमडी और बोर्ड के निदेशक मंडल स्तर के अधिकारियों की सहमति होती है। उन्हीं के हस्ताक्षर से बैंकों का समूह (कंसोर्टियम) बनाकर लोन देने की प्रक्रिया शुरू की जाती है। उद्योगपति को भले ही उसके शहर में उसकी पसंद की शाखा से लोन मिले लेकिन वहां के शाखा प्रबंधक की इच्छा और अनिच्छा मायने नहीं रखती। उद्योगपति विक्रम कोठारी मामले में भी ऐसा ही हुआ। कोठारी को जब भी अपने कर्ज की लिमिट बढ़वानी होती थी, मुख्यालय स्तर से आदेश आ जाता था। बताते हैं कि यहां कोठारी का रुतबा और सेवा के बदले मिली मेवा काम करती थी।
जल्द हो सकती है गिरफ्तारी
बैंकों के सूत्र बताते हैं कि कोठारी के लोन की सीमा जब हद पार करती गई या उनकी किस्तें समय पर जमा न होने लगीं तो तत्कालीन शाखा प्रबंधकों और क्षेत्रीय प्रबंधकों ने मुख्यालयों को आगाह भी किया था। समय रहते इस पर कोई ध्यान नहीं दिया गया, जिसके चलते कोठारी करोड़ों रूपए डकार गया। सूत्रों की मानें तो विक्रम कोठारी के बेटे के ससुरालपक्ष का एक रिश्तेदार बैंक में बड़े ओहदे पर बैठा है और जब भी शाखा प्रबंधक ने कर्जा देने में आनाकानी की तो कोठारी रिश्तेदार का रौब दिखाकर आराम से बैंक से लोन पास करा लेता। अब सीबीआई ने भी इसी बिंदु को अपनी जांच में प्रमुखता से शामिल किया है। इन्हीं कारणों से कोठारी को लोन देने वाले बैंकों के उच्चाधिकारियों की जानकारी जुटाई जा रही है। माना जा रहा है कि कोठारी प्रकरण में एक बैंक अफसर की भी जल्द ही गिरफ्तारी हो सकती है।
बैंकों के पैसे कहां गए पर कर रही जांच
सीबीआई यह पता लगाने की कोशिश कर रही है कि बैंकों के पैसे कहां गए। रोटोमैक में लगाए गए या फिर दूसरे कामों में खर्च कर दिए गए। वित्तीय लेनदेन का हिसाब-किताब रखने वालों और बैंक अधिकारियों की भूमिका के बारे में भी सीबीआई पड़ताल कर रही है। सीबीआई अफसरों का मानना है कि बैंक अधिकारियों और उनके वित्तीय लेनदेन का काम देखने वालों के मिलीभगत से इतनी बड़ी धोखधड़ी सम्भव नहीं थी। इस कारण उनके बारे में भी सीबीआई द्वारा सूचनाएं एकत्र की जा रही है। वित्तीय देखरेख करने वालों ने बैंकों से कैसे सामंजस्य बैठाया, इसे लेकर भी पड़ताल की जा रही है। सीबीआई की एक टीम शहर में मौजूद है और कुछ बैंक अफसरों और कर्मचारियों की सूची भी ने तैयार की है। उन्हीं बैंक अफसरों और मैनेजरों के बारे में सीबीआई की टीम और इनपुट जुटा रही थी। इस दौरान कुछ बैंक अधिकारी छुट्टी लेकर शहर से निकल गए हैं।

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