4 प्रमुख राज्यों में ऊंट, 9 में शून्य देश के चार प्रमुख राज्यों राजस्थान, गुजरात, हरियाणा और उत्तरप्रदेश में ऊंट है। देश के 9 राज्य/केंद्रशासित प्रदेश में ऊंट शून्य है। इसमें आंध्रप्रदेश, झारखण्ड, सिक्किम, मेघालय, नागालैण्ड, मिजोरम, मणिपुर, चंडीगढ़, अण्डमान, लक्षद्वीप, दादरा-नागर हवेली और दमन व दीव शामिल है।
नर 56 फीसदी, मादा 19 फीसदी कम बीसवीं पशुगणना 2019 के अनुसार देश में 2012 की तुलना में ऊंटों (नर व मादा) की संख्या 4 लाख से घटकर 2.50 लाख रह गई। इसमें सर्वाधिक 56 फीसदी की कमी ऊंट (नर) और 19 फीसदी की कमी ऊंटनी (मादा) में आई।
1971 युद्ध के बाद आर्मी ने बीएसएफ को सौंपा ऊंट लड़ाई में काम आते हैं। सबसे पुरानी ऊंट रेजिमेंट बीकानेर के तत्कालीन शासक महाराजा गंगासिंह के पास थी जिसका नाम गंगा रिसाला था। इसने प्रथम और द्वितीय विश्व युद्धों में भाग लिया। आजादी के बाद आर्मी की 13 ग्रेनेडियन के पास केमल केवलरी आई। भारत-पाक में 1971 के युद्ध में ऊंट आर्मी के पास थे। इसके बाद केमल केवलरी आर्मी ने बीएसएफ को सौंप दी।
जोधपुर में दिया जाता है ऊंटों पर प्रशिक्षण बीएसएफ जवानों को ऊंटों का प्रशिक्षण देश में केवल जोधपुर में दिया जाता है। यहां प्रशिक्षण के लिए 62 ऊंट है। जवानों को 4 सप्ताह का प्रशिक्षण मिलता है, जिसके बाद वे बॉर्डर पर ऊंटों के साथ गश्त करते हैं। बीएसएफ ने इन सभी 62 ऊंटों के अलग-अलग नाम रखे हैं। सभी ऊंटों का नेतृत्व सम्राट नाम का ऊंट करता है।
वर्ष- ऊंट की संख्या 2019- 2.50 लाख 2012- 4 लाख 2007- 5.20 लाख 2003- 6 लाख 1997- 9.12 लाख 1992- 10.31 लाख 1982- 11 लाख 1947- 6 लाख
(हर पांच साल बाद पशु गणना होती है।) सीमा की सुरक्षा में आज भी ऊंट प्रमुख है। बीएसएफ जवानों को जोधपुर में ऊंटों पर प्रशिक्षण दिया जाता है जो चार सप्ताह तक चलता है।
योगेंद्र सिंह राठौड़, उप महानिरीक्षक, बीएसएफ प्रशिक्षण केंद्र जोधपुर