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रविवार को रोहतक के जसिया में अखिल भारतीय जाट आरक्षण संघर्ष समिति की प्रदेश कार्यकारिणी की बैठक राष्ट्रीय अध्यक्ष यशपाल मलिक की अध्यक्षता में आयोजित हुई। बैठक में फैसला लिया गया कि दीनबन्धु छोटूराम की 139वीं जयन्ती पर व छोटूराम धाम की स्थापना की तीसरी वर्षगांठ पर 24 नवम्बर को छोटूराम जयन्ती समारोह का आयोजन किया जाएगा, जिसमें 10 राज्यों से आए लोग शिरकत करेंगे। इसी दिन देशव्यापी आंदोलन की रूपरेखा तय की जाएगी। यशपाल मलिक ने यह भी स्पष्ट किया कि जनता ने उन जाट विधायकों व गैर जाट नेताओं को नकार दिया है, जिन्होंने अपनी राजनीतिक महत्वकांक्षा में हरियाणा का भाईचारा खराब करने की कोशिश की। मलिक का इशारा पूर्व वित्त मंत्री से लेकर कृषि मंत्री एवं पूर्व सहकारिता मंत्री तथा पूर्व कुरुक्षेत्र लोकसभा सांसद की ओर था।
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यह हैं आरक्षण संघर्ष समिति की मांगे
अखिल भारतीय जाट आरक्षण संघर्ष समिति की मांग है कि आंदोलन के दौरान दर्ज सभी केसों को वापिस लिया जाए और जिन केसों पर अदालत में स्टे है, अदालत को सही स्थिति से अवगत कराकर उन केसों को वापिस लिया जाए। समिति की दूसरी मांग है कि सरकार द्वारा जाट समाज को बी.सी(सी) में दिया जाने वाले आरक्षण के बिल को वापिस ले लिया गया था। जो मार्च व अप्रैल 2016 में हरियाणा विधानसभा में पारित हुआ था जिसके द्वारा हरियाणा के जाट समेत 6 जातियों को अब केन्द्र द्वारा पारित 10 प्रतिशत आर्थिक आधार पर आरक्षण मिलेगा। हरियाणा सरकार फिर से जाट समेत 6 जातियों को हरियाणा के बी.सी.(बी) में शामिल करने का बिल लाए। इसके अतिरिक्त धरनों के दौरान धरनों पर बैठे लोगों के मृत आश्रितों को भी सरकार द्वारा नौकरी का आश्वासन दिया गया था उसको भी जल्द पूरा किया जाए।
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सरकार से ज्यादा पूर्व वित्त मंत्री से खफा जाट
जाट सरकार की बजाय पूर्व वित्त मंत्री कैप्टन अभिन्यु से ज्यादा खफा हैं। हरियाणा प्रदेशाध्यक्ष महेंद्र पूनिया ने आरोप लगाया कि पूर्व वित्त मंत्री कैप्टन अभिमन्यु के केसों में पिछले 3 साल से दर्जनों युवा जेलों में बंद हैं। हरियाणा के सभी संगठन जैसे खापों आदि को भी मिलकर अभिमन्यु से केस वापिस लेने के लिए कहना होगा और सब लोगों को सामाजिक प्रयत्न भी करने होंगे। जाट नेताओं ने चेतावनी दी कि यदि समय रहते उनकी मांगों को पूरा नहीं किया गया तो दिसम्बर में आंदोलन की शुरूआत की जाएगी।