पीने के लिए नहीं था पानी, खुले में पड़ा था बचा खाना
जब बीडीके अस्पताल परिसर में धर्मशाला में संचालित रसोई में पहुंचे तो यहां पर एक दर्जन से अधिक लोग खाना खा रहे थे। एक युवक उनका फोटो खींच रहा था। अंदर एक युवती रोटियां पका रही थी। लेकिन यहां पर पानी के लिए लगा रखा वाटर कूलर सूखा पड़ा था। हाथ धोने के लिए लगे सिंक के ऊपर नल में पानी भी नाममात्र का आ रहा था। जब युवक से पूछा तो उसने बताया कि तीन-चार महीने से पानी की समस्या है। बीडीके परिसर के अंदर कुएं की मोटर कई दिनों से खराब पड़ी है। पीछे दवा स्टोरेज के लिए बनाए गए वेयर हाउस से कनेक्शन लिया था लेकिन उन्होंने उसे काट दिया। अलग से ही पानी की व्यवस्था करनी पड़ती है। रसोई के पिछले हिस्से में बचे खाने को खुले में डाल रखा था।
खेल रहे थे बच्चे, सब्जी खराब, पानी जैसी दाल
पत्रिका टीम गुढ़ा रोड के पास रसोई से निकलकर जब रेलवे लाइन के पास अंदर की तरफ मोहल्ले में स्थित रसोई में पहुंची तो यहां पर चार-पांच बच्चे खेल रहे थे। यहां पर खाना बनाने वाली महिला ही खाना खाने के लिए आए युवक की फोटो खींच रही थी। जब उससे पूछा गया कि कोई और कर्मचारी नहीं है तो उसने कहा कि बाहर गया हुआ है। जब रसोई के अंदर बर्तन में पड़ी दाल को खोलकर देखा तो पानी के अलावा कुछ नहीं था। जब मेन्यू में दाल के अलावा अन्य सब्जी के बारे में पूछा तो उसने बताया कि बैंगन की सब्जी बनाई है। जब कड़ाई को खोलकर देखा तो उसमें एक व्यक्ति के खाने तक की सब्जी नहीं थी और वह भी खराब हो चुकी थी और चावल भी बासी थे। यहां पर कट्टे में पड़ा आटा ठीक था। लेकिन जब चावल देखे तो सबसे घटिया क्वालिटी के थे। परिसर में ज्यादा सफाई भी नहीं थी और मुय दरवाजे के पास एक जगह कुछ कचरा पड़ा हुआ था।
लटका मिला ताला
जब पत्रिका टीम रीको में रीको आफिस के सामने स्थित इंदिरा रसोई पहुंची तो यहां पर ताला लटका हुआ मिला। जब यहां पर एक दुकानदार से पूछा तो उसने बताया कि यह तो बंद हो गई। जब उससे पूछा कितने दिन से बंद है तो उसने कहा कि करीब सात-आठ महीने हो गए होंगे। न्यू प्राइवेट बस स्टैंड से जब राणी सती मंदिर के पास मेघवंशी बगीची परिसर में संचालित अन्नपूर्णा रसोई पहुंचे तो ताला लटका हुआ मिला। बगीची के अंदर बैठे शस से पूछा गया कि रसोई कैसे नहीं खुली तो उसने बताया कि यह बंद हो गई है।
दरवाजे पर नल और नाली, फैली थी गंदगी
रीको से जब गुढ़ा रोड पर कुछ दूरी पर चलते ही दाएं हाथ की तरफ मोहल्ले के अंदर संचालित रसोई में पहुंचे। यहां पर दो व्यक्ति खाना खा रहे थे। एक युवक आलू काट रहा था। जबकि अंदर महिला खाना बना रही थी। यहां पर एक व्यक्ति खाना खाने के बाद खुद ही थाली लेकर रसोई के दरवाजे के सहारे गंदी नाले के ऊपर लगी नल से थाली साफ करने लगा। जब वहां पर सब्जी काट रहे युवक से पूछा गया कि खाना खाने के बाद थाली खुद को साफ करनी पड़ती है तो इस पर उसने जवाब दिया कि हम ही साफ करते हैं, लेकिन थाली में चावल, सब्जी आदि चिपके रहते हैं तो पानी थाली पर पानी डलवा लेते हैं। यहां पर एक टेबल पर बर्तन में दाल और चावल खुले में ही पड़े थे। यहां पर गंदे नाले के ऊपर रसोई के दरवाजे पर कौने में नल लगा रखा था। जिसमें मक्खी-मच्छर भिनभिना रहे थे। यहां पर गंदगी की बदबू आ रही थी।