झांसी.अप्रैल जैसे-जैसे मई की तरफ बढ़ रहा है सूरज का पारा सातवें आसमान पर चढ़ता दिख रहा है। धरती भी भट्टी की मानिंद आग की तपिश उगल रही है। ऐसे तेज धूप, अधिक तापमान और सूखी गरम हवाओं के मौसम में लू (हीट स्ट्रोक) लगने की कुछ ज्यादा ही संभावना बन जाती है। कई बार यह जानलेवा भी हो जाती है।
इस मौसम में लू लगने पर दिखने वाले लक्षण, प्रभाव और उनसे बचने के उपायों के बारे में मुख्य चिकित्सा अधिकारी ने कुछ इस तरह के दिशा निर्देश जारी किए हैं-
हीट स्ट्रोक (लू) के लक्षण
– त्वचा का गरम, लाल और शुष्क हो जाना।
– पसीना न आना।
– तेज पल्स, उथली श्वांस, गति में तेजी।
– व्यवहार में परिवर्तन, भ्रम की स्थिति।
– सिरदर्द, मिचली, थकान और कमजोरी होना, चक्कर आना।
– मूत्र न होना या इसमें कमी।
इन लक्षणों के कारण शरीर पर होने वाले प्रभाव
– उच्च तापमान से शरीर के आंतरिक अंगों, विशेषकर मस्तिष्क को नुकसान पहुंचता है। शरीर में उच्च रक्तचाप उत्पन्न होता है।
– हृदय के कार्य पर प्रतिकूल प्रभाव उत्पन्न होता है।
– जो लोग एक या दो घंटे से ज्यादा समय तक 40.5 डिग्री सेल्सियस (105 डिग्री फारेनहाइट) या अधिक तापमान या गरम हवा में रहते हैं, तो उनके मस्तिष्क के प्रभावित होने की संभावना ज्यादा होती है।
हीट स्ट्रोक से बचने के उपाय
– तेज धूप में निकलने से बचें।
– अगर निकलना जरूरी है, तो छाता लगा लें या टोपी पहन लें। इसके साथ ही ऐसे कपड़े पहनें जिससे शरीर अधिक से अधिक ढका रहे।
– हीट-स्ट्रोक से बचने के लिए जरूरी है कि पर्याप्त मात्रा में पानी पीकर घर से निकलें और समय-समय पर पानी पीते रहें।
– डिहाइड्रेशन से बचने के लिए जरूरी है कि अधिक मात्रा में पानी, मौसमी फलों का जूस, गन्ने का रस, कच्चे आम का रस, ओआरएस घोल व नारियल पानी का उपयोग किया जाए।
हीट-स्ट्रोक का उपचार और फर्स्ट एड
– शरीर के उच्च तापमान को नियंत्रित कर 100 डिग्री फारेनहाइट तक रखने का प्रयास करें।
– मरीज को ठंडी जगह में रखें।
– मरीज को ठंडी हवा करें तथा उसके शरीर को स्पंज या गीले कपड़े से पौंछें।
– मरीज के सिर पर बर्फ की पट्टी रखें जब तक कि तापमान 100 डिग्री फारेनहाइट न हो जाए।
Hindi News / Jhansi / इस भीषण गर्मी में हीट स्ट्रोक (लू) से ऐसे करें बचाव