उन्होंने कहा कि इतना बड़ा कदम उठाने से पहले बीजेपी सरकार ने स्थानीय लोगों को विश्वास तक में नहीं लिया। क्या यह कदम उठाकर भी यहां के लोगों से किए वायदों को पूरा किया गया है। जम्मू-कश्मीर की जनता केंद्र से अपने इन सवालों का जवाब पूछेगी। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार की दिशाहीन नीतियों ने देश में बेरोजगारी बढ़ाने के साथ आर्थिक संकट को बढ़ावा दिया है। कांग्रेस ने इसके खिलाफ देश व्यापी आंदोलन की शुरूआत कर दी है। जमीनी हकीकत यह है कि सरकार की नीतियां किसान विरोधी हैं। आर्थिक मंदी से निपटने में भी केंद्र नाकाम रहा है। हालत यह है कि देश में बेरोजगारी दिन-प्रतिदिन बढ़ रही है। आंदोलन काे कामयाब बनाने के लिए अन्य विपक्षी दलों को भी साथ लिया जाएगा।
अंबिका सोनी ने कहा कि जम्मू-कश्मीर में यह आंदोलन जिला स्तर पर चलेगा। आज से आंदोलन की शुरूआत हो चुकी है और यह 15 नवंबर तक चलेगा। जम्मू-कश्मीर के मौजूदा हालत का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि सरकार यहां सब सामान्य बता रही है। अगर ऐसा है तो फिर विपक्षी दलों के नेताओं को अभी तक हिरासत में क्यों रखा गया है, उन्हें रिहा क्यों नहीं किया जाता।
अंबिका सोनी से जब यह पूछा गया कि क्या जम्मू-कश्मीर को वापस राज्य का दर्जा मिलना चाहिए तो इसके जवाब में उन्होंने कहा कि यहां से अनुच्छेद 370 हटाने के बाद इसे दो टुकड़ों में बांट यूटी बना देना ही अजीब फैसला है। राज्य का दर्जा छीनकर केंद्र ने यहां के लोगों के साथ धोखा किया है। केंद्र सरकार को चाहिए कि वह जल्द से जल्द यहां चुनाव करवाकर सरकार बनाने की प्रक्रिया शुरू करे ताकि यहां की जनता अपने प्रतिनिधियों के माध्यम से अपनी आवाज केंद्र तक पहुंचा सके। इसी दौरान सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे जम्मू-कश्मीर के मानचित्र, जिसमें गुलाम कश्मीर को शामिल किया गया है, पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि इसमें नई बात क्या है। इससे पहले भी गुलाम कश्मीर भारत के नक्शे में शामिल था। केंद्र सरकार को चाहिए कि वह गुलाम कश्मीर को सिर्फ नक्शे पर मत दिखाए उसे वापस लेने के लिए कदम उठाए। इससे पूर्व अंबिका सोनी ने जम्मू संभाग के वरिष्ठ नेताओं से पार्टी मुख्यालय में बैठक कर यहां की मौजूदा स्थिति की जानकारी भी हासिल की।