scriptJammu Kashmir politics : पिछले पांच वर्ष में कर्मचारियों की बर्खास्तगी पर महबूबा ने मुख्यमंत्री को लिखा पत्र | Jammu Kashmir politics: Mehbooba wrote a letter to the Chief Minister on the dismissal of employees during the last five years | Patrika News
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Jammu Kashmir politics : पिछले पांच वर्ष में कर्मचारियों की बर्खास्तगी पर महबूबा ने मुख्यमंत्री को लिखा पत्र

पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) की प्रमुख महबूबा मुफ्ती ने पत्र में कहा “बिना उचित प्रक्रिया के सरकारी कर्मचारियों की अचानक बर्खास्तगी एक पैटर्न, जो 2019 से शुरू हुआ ने, कई परिवारों को तबाह कर दिया है और कुछ मामलों में, बेसहारा बना दिया है।”

जम्मूNov 11, 2024 / 06:22 pm

Deendayal Koli

पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) की प्रमुख महबूबा मुफ्ती

Jammu Kashmir : जम्मू-कश्मीर में पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) की प्रमुख महबूबा मुफ्ती ने सोमवार को Jammu Kashmir के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला से पत्र लिखकर आग्रह किया कि वह पिछले पांच वर्षों के दौरान कर्मचारियों की बर्खास्तगी के मामलों का पुनर्मूल्यांकन करने के लिए एक उच्च स्तरीय समीक्षा समिति गठित किया जाए। मुफ्ती ने अपने सोशल मीडिया अकाउंट पर पत्र पोस्ट किया और कहा कि उन्होंने Jammu Kashmir के मुख्यमंत्री को उन परिवारों की दुखद दुर्दशा के बारे में लिखा है जिनके सदस्यों को पूरी जांच और निष्पक्ष सुनवाई के बिना “तुच्छ आधार” पर सरकारी सेवाओं से “मनमाने ढंग से” बर्खास्त कर दिया गया है।
Jammu Kashmir में पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) की प्रमुख महबूबा मुफ्ती ने ‘एक्स’ पर लिखा “उम्मीद है कि उमर साहब इन परिवारों की पीड़ा को कम करने के लिए मानवीय दृष्टिकोण अपनाएंगे।” मुख्यमंत्री को लिखे अपने पत्र में मुफ्ती ने कहा कि कर्मचारियों की बर्खास्तगी ने हमारे क्षेत्र में अनगिनत लोगों के जीवन को गहराई से प्रभावित किया है।
उन्होंने पत्र में कहा “बिना उचित प्रक्रिया के सरकारी कर्मचारियों की अचानक बर्खास्तगी एक पैटर्न, जो 2019 से शुरू हुआ ने, कई परिवारों को तबाह कर दिया है और कुछ मामलों में, बेसहारा बना दिया है।”
मुफ्ती ने एक समीक्षा समिति की स्थापना का प्रस्ताव रखा जो ऐसे मामलों का व्यवस्थित रूप से पुनर्मूल्यांकन कर सके। उन्होंने सुझाव दिया कि यह समिति बर्खास्तगी के पुनर्मूल्यांकन की दिशा में काम कर सकती है और प्रत्येक मामले की निष्पक्ष और गहन समीक्षा कर सकती है, जिससे प्रभावित व्यक्ति या उनके परिवार अपना पक्ष रख सकें। उन्होंने ऐसे परिवारों के लिए तत्काल मानवीय सहायता का भी सुझाव दिया।
गौरतलब है कि पिछले कुछ वर्षों में, जम्मू-कश्मीर सरकार ने राज्य की सुरक्षा के लिए “खतरा” होने के कारण 60 से अधिक कर्मचारियों की सेवाओं को समाप्त कर दिया है। कर्मचारियों को भारत के संविधान के अनुच्छेद 311 (2) (सी) का हवाला देकर बर्खास्त किया गया, जो सरकार को कर्मचारियों से स्पष्टीकरण मांगे बिना या उनके आचरण की जांच का आदेश दिए बिना उन्हें समाप्त करने की अनुमति देता है।

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