राजस्थान के लिए चिंता की बात
हर साल देश में 5 लाख लोगों की बीड़ी पीने से जान चली जाती है। राजस्थान में बीड़ी की खपत 11.4 प्रतिशत है जोकि राष्ट्रीय औसत 7.7 प्रतिशत से काफी अधिक है।
राज्य सरकार का राजस्व गिरा राजस्थान में बीड़ी उत्पादन की वर्तमान में 167 यूनिट है जो बूंदी, बारां, झालावाड़, बांसवाड़ा, उदयपुर, प्रतापगढ़, डूंगरपुर, चितौड़, भीलवाड़ा, पाली, सिरोही व धौलपुर में फैली है। वर्ष 2010-11 में राज्य सरकार को बीड़ी से 11.72 करोड़ का राजस्व मिला तो जो अब घटकर 7.5 करोड़ हो गया। बीड़ी पर टैक्स बढ़ाने से राजस्व भी बढ़ेगा।
प्रदेश के गांवों में सबसे अधिक पीते हैं बीड़ी – 19.7 प्रतिशत पुरुष पीते हैं बीड़ी
– 14 प्रतिशत गामीण शामिल – 4.4 प्रतिशत है शहरी बीड़ी पीने वाले
– 2.8 प्रतिशत महिलाएं पीती है बीड़ी
जालोर में सर्वाधिक उत्पादन प्रदेश में 436 हेक्टेयर में 746 टन तेंदू पत्तों का उत्पादन होता है जिसमें 451 टन के साथ जालोर प्रथम है। इसके अलावा जयपुर, दौसा, टोंक, सीकर, नागौर, झंझनूं, अलवर, भरतपुर, करौली, सिरोही, भीलवाड़ा में भी उत्पादन होता है।
कितने श्रमिक व मजदूरी – 38791 श्रमिक है बीड़ी मजूदर
– 230 रुपए मिलते हैं 1000 बीड़ी बनाने पर – 11 बीड़ी निर्यातक है राजस्थान में
—————– सिगरेट के सस्ते विकल्प के तौर पर बीड़ी का इस्तेमाल होता है। बीड़ी उद्योग पर नियमन व टैक्स बढ़ाने से इसकी खपत को कम किया जा सकेगा।
-डॉ पंकज भारद्वाज, एकेडमिक हैड, स्कूल ऑफ पब्लिक हेल्थ, एम्स जोधपुर