मुक्तिधाम मंदिर लोगों की आस्था का केन्द्र होने के साथ-साथ क्षेत्र के ऐतिहासिक मंदिर के रूप में अपनी पहचान बना रहा है। मुक्तिधाम मंदिर में 33 देवी देवताओं के परिक्रमा में मंदिर होने के साथ-साथ 24 अवतार, 12 ज्योतिर्लिंग, 9 दुर्गा, 120 गुंबद इसे खास बनाते हैं।
संकट की स्थिति में मददगार बने
बता दें समाजसेवी और कलाप्रेमी के साथ विरदसिंह संकट की स्थिति में मददगार भी बने। इसी कारण उन्हें याद किया जाता है। मुक्तिधाम मंदिर निर्माण करवाने वाले विरदसिंह राव ने संवत् 2031 में सांचौर में पड़े अकाल में 100 बोरी अनाज, चारा, ज्वार की व्यवस्था भी करवाई। यह लोक कथा भी जुड़ी है
विरदसिंह राव हनुमान व शिव के उपासक भी थे। सोलह वर्ष की आयु में भीनमाल शहर के पश्चिम में क्षेमकारी माताजी मंदिर के समीप पहाड़ी पर स्थित पंचमुखी हनुमान मंदिर जहां उपासना प्रारंभ की। उपासना के छठे दिन 55 किमी की पैदल यात्रा कर पंचमुखी हनुमान
मंदिर भीनमाल पहुंचे तो वहां पर स्थित मंदिर की पहाड़ी बड़े वट वृक्ष पहाड़ की तरह दिखाई दी व मंदिर व मूर्ति भी बड़े दिखाई दे रहे थे।
सातवें दिन मंदिर के गृर्भगृह से आवाजें सुनाई देती रही। शिव उपासना के पश्चात 108 भुजंगी छंदों में शिव स्तुति काव्य कर रचना की। इस घटनाक्रम ने उन्हें आध्यात्म की ओर प्रेरित किया और वे धर्म की राह पर आगे बढ़े।
इनका कहना है
मुक्तिधाम मंदिर को पर्यटन नक्शे पर लाने के लिए सकारात्मक प्रयास की जरुरत है। क्षेत्र में आधुनिक कला के युग में विशेष शिल्पी कला के तहत मंदिर का निर्माण किया गया, जो क्षेत्र की आस्था की झलक को प्रस्तुत करता है। - हरिसिंह राव, समाजसेवी पुर