…तो बढ़ेगा जैसलमेर का राजनीतिक कद
-शाले मोहम्मद पर निगाहे कि क्या मिलेगी अहम जिम्मेदारी-विधायक रूपाराम धनदै के समर्थकों को भी लाल बत्ती मिलने की उम्मीद
…तो बढ़ेगा जैसलमेर का राजनीतिक कद
जैसलमेर. राजधानी में मंत्रिमंडल विस्तार और फेरबदल के साथ राजनीतिक नियुक्तियों तथा कांग्रेस में संगठनात्मक नियुक्तियों का काउंटडाउन शुरू हो चुका है। ऐसे में सीमावर्ती जैसलमेर जिले के राजनीतिक कद को लेकर चर्चाएं भी जोरों पर हैं। राज्य मंत्रिमंडल में जिले के पहले केबिनेट मंत्री होने का गौरव पा चुके पोकरण विधायक शाले मोहम्मद को क्या और अहम जिम्मेदारी मिलेगी, इस पर सबकी निगाहें टिकी हुई हैं। वर्तमान में अल्पसंख्यक मामलात और जन अभाव अभियोग निरोकरण मंत्री के तौर पर राज्य सरकार में केबिनेट मंत्री शाले मोहम्मद के लिए यह संभावनाएं जताई जा रही हैं कि उन्हें ज्यादा जन जुड़ाव वाला कोई और महत्वपूर्ण विभाग दिया जा सकता है। जानकारों की मानें तो उनकी छवि और क्षेत्र में लगातार सक्रिय रहने के साथ मुख्यमंत्री के खेमे में शुरू से रहने के चलते इन कयासों को काफी बल मिला है। उधर, उनके समर्थक इन दिनों सरकार में सबसे ज्यादा दौरे करने और आमजन की समस्याओं की सर्वाधिक सुनवाई करने वाले मंत्री के तौर पर भी उनके पक्ष में प्रचार कर रहे हैं। यह दावा किया जा रहा है कि वे प्रतिदिन 300-400 किलोमीटर तक का सफर जैसलमेर जिले तथा प्रदेश भर में औसतन करते हैं।
…..और इधर भी चल रहे प्रयास
दूसरी तरफ जैसलमेर के कांग्रेसी विधायक रूपाराम मेघवाल भी लाल बत्ती पाने की हसरत पाले हुए हैं। जानकारी के मुताबिक जलदाय महकमे में मुख्य अभियंता रह चुके रूपाराम की तरफ से मंत्री या किसी राज्यस्तरीय बोर्ड.निगम में अध्यक्षी के लिए प्रयास बीते अर्से से किए जाते रहे हैं। हाल में मेघवाल समाज के एक संगठन में वे अध्यक्ष भी बने हैं और कई जिलों में उनके स्वागत समारोह भी आयोजित किए गए। रूपाराम स्वयं को मेघवालों का प्रदेशस्तरीय चेहरा बनाने में जुटे दिखाई देते हैं। जिससे उनकी राजनीतिक चमक और बढ़े। वहीं पूर्व यूआइटी अध्यक्ष उम्मेदसिंह तंवर के बारे में भी बताया जाता है कि उनकी नजरें भी अब लालबत्ती पाने पर हैं। हालांकि विधायकों के बीच पदों को लेकर मौजूदा मारामारी के दौर में उन्हें यह ओहदा मिलना बहुत मुश्किल दिखता है। वैसे, जैसलमेर यूआइटी अध्यक्ष पद के तो वे सशक्त दावेदार माने ही जा रहे हैं। दूसरी ओर युवा नेता विकास व्यास भी यूआइटी के लिए पुरजोर प्रयास कर रहे हैं। राजनीतिक नियुक्तियों के लिए जिले में अन्य दावेदारों के तौर पर अंजना मेघवाल, अशोक तंवर, देवकाराम माली, गिरिश व्यास, मेघराज परिहार, खटन खां आदि शामिल हैं।
आलाकमान के संकेत: अब नहीं होगी देरी
कांग्रेस आलाकमान के तेवरों से साफ हो गया है कि सत्ता और संगठन में भागीदारी की प्रक्रिया में अब और देरी नहीं होगी। राजनीति के जानकारों ने बताया कि 28-29 जुलाई या अगस्त के पहले सप्ताह में नए मंत्रियों की ताजपोशी के साथ राजनीतिक तथा संगठनात्मक नियुक्तियों का सिलसिला शुरू हो जाएगा। इसके लिए नामों पर दिल्ली व जयपुर में कई दौर का मंथन हो चुका है। अब केवल नामों को हरी झंडी भर देना ही बाकी है।
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