मझगांव डाकयार्ड से जलावतारण के बाद इस पनडुब्बी को अब गहन परीक्षण से गुजरना होगी। इस दौरान इस पनडुब्बी में लगाई गई तमाम रक्षा और प्रतिरक्षा प्रणाली का सख्त परीक्षण किया जाएगा। परीक्षण में सफल होने के बाद ही इस भारतीय नौ सेना को सौंपा जाएगा। फिलहाल 2023 तक इसे भारतीय नौ सेना को सौंपने का लक्ष्य है।
गौरतलब है कि भारतीय नौ सेना ने 2005 में प्रोजेक्ट-75 के तहत छह पनडुब्बियां बनाने का करार किया था। भारतीय नौ सेना को पहली स्कोर्पिन क्लास पनडुब्बी आईएनएस कलवरी 2017 में मिली। 2019 में आईएनएस खंडेरी और 2021 में आईएनएस करंज व आईएनएस वेला भारतीय नौ सेना मिली। 5वीं पनडुब्बी आईएनएस वागीर का समुद्र में परीक्षण चल रहा है।
अब भारत पूरी तरह से अपनी स्वदेशी पनडुब्बी तैयार करेगा। इसके लिए P75 इंडिया प्रोजेक्ट घोषित कर दिया गया है। इससे भारत की आत्मनिर्भरता जबरदस्त रूप से बढ़ जाएगी। फिलहाल पनडुब्बियों की कमी से जूझ रही भारतीय नौसेना के लिए वागशीर की लॉन्चिंग से समुद्री ताकत में बड़ा इजाफा होने जा रहा है।