ऐसे में परमिट परिवहन विभाग का सौंप दो। परिवहन विभाग के आला अफसरों का अन्य सभी विषयों को छोड़कर इस समीक्षा बैठक में सबसे ज्यादा जोर इसी विषय पर रहा। राजस्थान रोडवेज के एक वरिष्ठ अधिकारी कहते हैं कि समस्या सरेंडर करने में नहीं बल्कि इसकी नियत में है। लोक परिवहन बसों को जिस तरह से बंदरबांट परमिट बांटा गया। वह किसी से छिपा नहीं हैं। एक बार फिर से परिवहन विभाग वही खेल करना चाहता है। निजी बसों को हाइवे पर इस तरह उतरने की अनुमति नहीं है लेकिन परमिट बंदरबांट करके मौन स्वीकृत दे दी गई है। एक ही बस को एक ही रूट पर तीन से अधिक परमिट जारी किए गए। वह धड़ल्ले से इसी को आधार बना हाइवे पर दौड़ रही हैं। पहले जयपुर से दौसा फिर दौसा से अलवर और फिर उसे को अलवर से दिल्ली का परमिट दे दिया गया। प्राइवेट बसों की लॉबी पहले ही ताकतवर है अब सरकार उन्हें मध्यप्रदेश की तरह माफिया बनने का रास्ता दिखा रही है।
48 इलेक्ट्रिक बस अनुबंध पर लेगा रोडवेज
राजस्थान रोडवेज में 48 इलेक्ट्रिक बसों को अनुबंध पर लेने की तैयारी शुरू हो गई है। इसमें से दस से अधिक बसें तो दिल्ली रूट पर दौड़ेगी लेकिन बाकी बसों का क्या होगा। यह बात समीक्षा बैठक में नहीं की गई है। इस बात के अलावा इन बसों से जो घाटा होगा उसकी भरपाई कौन करेगा। वह भी तब जब चार साल से डीलक्स डिपो घाटे की तरफ बढ़ रहा है। बैठक के बाद परिवहन मंत्री प्रताप सिंह खाचरियावास ने बताया कि रोडवेज में गांव गांव तक बस सुविधा उपलब्ध कराने के लिए 550 नई बसें सम्मिलित करने की प्रकिया जारी है। इसके अलावा घाटे से उबारने, एकमुश्त बकाया देने और बसअडडों का कायाकल्प करने के लिए निर्देश दिए हैं।