हाल ही में चिरंजीलाल को केन्द्रीय संगीत नाटक अकादमी का अवॉर्ड मिला था। चिरंजीलाल केवल मांड ही नहीं गाते बल्कि वे अच्छे शास्त्रीय गायक भी थे। जयपुर में एक बार पाकिस्तान के मशहूर गजल गायक गुलाम अली ने चिरंजीलाल जी के लिए कहा था- ‘ये लय और ताल से जिस तरह खेलते हैं, वह बेमिसाल है।’ विख्यात नृत्यांगना मृणालिनी साराभाई और मल्लिका साराभाई के साथ उनकी संस्था ‘दर्पण’ में उन्होंने दस साल तक काम किया और अपने गायन से लोगों का दिल जीता।
17 मार्च, 1947 को नवलगढ़ में जन्मे चिरंजीलाल तंवर ने करीब 27 साल तक उन्होंने जयपुर कथक केन्द्र में सेवाएं दी थी। संगीत प्रेमी वंदना सिंह नाडगर ने अमरीका में रहते हुए चिरंजी लाल तंवर के गाए भजनों की 2004 में एक सीडी निकाली- ‘मेवाड़ री मीरा।’ इसमें मीरा के दुर्लभ भजन हैं जो आमतौर पर नहीं गाए जाते।
चिरंजी लाल जी की सीडी की लंदन की एक कंपनी ने मार्केटिंग की, जो आज भी अमरीका सहित कई देशों में खूब बिक रही है। चिरंजीलाल जब 8-9 साल के थे तब मुंबई के बांगवाड़ी इलाके में एक थियेटर कंपनी में बाल कलाकार के रूप में काम करते थे। वहां एक बार गायन प्रतियोगिता हुई तो इसमें लता मंगेशकर जज थीं, जिन्होंने चिरंजीलाल को पहला पुरस्कार दिया।
चिरंजीलाल तंवर की गायकी के कद्रदानों में जयपुर की पूर्व महारानी गायत्री देवी भी थीं। वे जब मन होता चिरंजीलाल को अपने आवास ‘लिलीपूल’ में बुलाकर उनसे सुना करती थीं। एक शाम तो महारानी गायत्री देवी एक राजस्थानी लोक गीत पर झूम उठीं और उन्होंने नृत्य भी कर डाला। जब तक गाना चला, वे गायतत्री देवी नृत्य करती रहीं। गाने के बोल थे- सागर पानी भरबा जाऊं सी निजर लग जाए।
जयपुर में एक बार ख्यात शास्त्रीय गायक और भारत रत्न से सम्मानित पं. भीमसेन जोशी के साथ जब चिरंजीलाल तंवर ने अपना कार्यक्रम दिया तो उनकी गायकी पर मुग्ध हो कर जोशी ने कहा कि अगर तुम लड़के हो कर लड़की होते तो मैं तुमसे शादी कर लेता।’ चिरंजीलाल ने इसके अलावा पं. जसराज, मेहदी हसन, गंगू बाई हंगल, गिरिजा देवी और किशोरी अमोनकर जैस दिग्गजों के साथ कार्यक्रम दिए हैं।